Deepa Saini

Romance

3.4  

Deepa Saini

Romance

14 फरवरी

14 फरवरी

6 mins
199


यह बात उन दिनों की है जब मैं b.a. फाइनल ईयर में पढ़ती थी l

मैंने एयरफोर्स का फॉर्म भरा था इस का एडमिट कार्ड आ चुका था l

और मेरा सेंटर देहरादून में लगा था मुझे पेपर देने के लिए देहरादून जाना था लेकिन मेरे पास जाने का ना कोई साधन था l

और ना ही मेरे माता-पिता इसके लिए मुझे आज्ञा देने वाले थे क्योंकि मैं एक ग्रामीण पिछड़े ग्रामीण इलाके से थी l


जहां पर लड़कियों को शायद पढ़ाया भी नहीं जाता पर मैंने जीत की कि मैं पेपर देने अवश्य ही जाऊंगी पापा ने बहुत मना किया कि नहीं मेरे पास पैसे भी नहीं है और मैं ऐसी लड़की को अकेला बाहर नहीं जाने देता मेरी बेस्ट फ्रेंड ने मेरी मदद करने के चाहत से बोला कि मैं अंकल से बात करूंगी और वह तुझे जाने की इजाजत देंगे मैंने उसे मना किया है ऐसा नहीं है वह नहीं जाने देंगे बाद मैं मेरी उस बेस्ट फ्रेंड ने पापा से बात की जिससे पापा ने उसकी बात मान ली और उसकी जिम्मेदारी पर मुझे उसके साथ भेज दिया मैंने सुबह-सुबह अपना सारा सामान पैक किया l

चेरी कलर क्यों सूटकेस में मैंने अच्छे से सुंदर सूट रखें बालों के पोनीटेल बनाएं और मेरा जो सबसे पसंदीदा सॉन्ग पिंक कलर का जो रानी मुखर्जी के उस सूट से मिलता था जो उसने कुछ कुछ होता है मैं पहना था l

था और मैं खुद को रानी मुखर्जी समझकर घर से एक हीरोइन की तरह निकल पड़ी रास्ते में उस सूटकेस को ले जाते भी मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी एयरपोर्ट पर जा रहा हूं मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था मेरे फ्रेंड मुझे मिलती हैं मार्केट में और फिर हम निकल पड़ते हैं देहरादून के लिए वहां से मुझे हरिद्वार बस अड्डे पर जिस बस में बैठना था उससे पहले ही मैंने अपने मित्र से गुजारिश की कि मुझे बस से सफर नहीं होता l

मुझे वह उल्टियां होती हैं इसीलिए मुझे नींबू खरीदना है जिससे मुझे उल्टी आना हो उसने कहा है ठीक है आप ₹10 लो और वह सामने नींबू वाली थैली खड़ी है l

उससे एक नींबू ले आओ मैंने उससे कहा नींबू कितने का है l

उसने कहा ₹5 का मैंने तो ठीक है भैया एक ₹5 का नींबू दे दीजिए l

उसने मुझे ₹5 का नींबू देते हुए कहा कि मैडम यह दीजिए तो दे दो मैंने कहा नहीं भैया एक ही दे दीजिए ₹5 भी दे दीजिए मैडम ₹5 तो खुले नहीं है मैंने कहा यह तो गलत बात है आपकी आपको मना कर देना चाहिए था कि मेरे पास पैसे खुले नहीं l

आ अब मैं क्या करूं मुझे तो वैसे ही चाहिए मैं जिद करने लगी लेकिन मेरी फ्रेंड ने का जल्दी बस चलने वाले हैं और तुम बस में आ जाओ मैंने कहा चलो ठीक हैl

 आप एक और नींबू दे दीजिए ऐसे करके मैं अपने बस में आकर बैठ गई, मैं अपने मित्र की बराबर में बैठी हुई थी खिड़की वाली सीट पर और मैं उस नींबू के जैसे ऐश्वर्या राय की तरह चाटने लगी जैसे वह हम दिल दे चुके सनम में लेते हैंl समीर हवा का झोंका, यह कहते हुए मैंने नींबू के लिए और आनंद लेती हुई बस में सफर करने लगी जैसे ही बस अपने गंतव्य पर पहुंचने के लिए तत्पर थे उसमें दो लड़कों की एंट्री होती है l

बस में सभी सीट खाली नहीं थी इसलिए वह हमारे बराबर वाली सीट के पास है हफ्ते को पकड़ कर खड़े हो जाते हैं l

जैसे ही बस को झटका लगता है तो वह एक दूसरे के ऊपर धक्का-मुक्की होने लगते हैl

वह दोनों भी मित्र थे अब हम दोनों से ही लिया टाइम पास करने के लिए क्या करती हमने अपने कुछ पुराने कॉलेज की तस्वीरें लाई थी l

उस एल्बम को हम देखने लगे इसमें मेरी सहेली की बहुत सुंदर तस्वीर थी उसे देखकर उन लड़कों ने कमेंट किया वह तो बहुत सुंदर है नोटिस कर लिया कि शायद हमारी बातों पर ध्यान दे रहे

हमने एल्बम बंद करने के बाद में देखेंगे उन्होंने कहा क्या हुआ आप देख लीजिए हम तो ऐसे ही ध्यान पड़ गया हम अपनी जो भी बातें कर रहे थे उस पर कमेंट करते जा रहे थे l

फिर उनमें से एक लड़की नहीं आएगी कि उसे भी नहीं उठना है क्योंकि उल्टी होती है मैंने उससे कहा की ठीक है मैं अपना नींबू तो तुम्हें दे दूंगी उसके लिए मैं आ जाऊंगी क्योंकि मैंने ₹5 का लिया है मेरी सहेली ने मेरी तरफ आंखें निकाल कर कहां यह तू क्या कर रही है

ऐसे थोड़ा ही ना करते ₹5 मांगी थी क्या ने कहा फिर मैं थोड़ा लिया है ₹5 ली है भैया ₹5 दो और हम आपको ₹5 दे देते हैं उसके बाद ₹4 खुले थे ₹1 का ₹1 उसने नींबू ले लिया और मेरे पैसे दे दी मैंने एक रुपए की कोई बात नहीं है l

ऐश्वर्या राय हवा का झोंका और जैसे ही यह कहते हुए मैंने बाहर विंडो की तरफ जहां का और मैं देहरादून के वृक्षों की सुंदरता में खो जाती हूं नीचे वाले में आकर मुझे ऐसा प्रतीत होता हैl

 जैसे वसंत ऋतु आ गई हो वहां से ऊपर से मेरे हाथ पर जो पीली पीली बिंदी जैसी कुछ हाथों पर छींटे ढलती है वैसे मैंने कहा प्रेम का दीप हुई कभी कबार जब मैं छत पर बैठकर पढ़ती थी तब मेरे कोरे कोरे पेज पर भी आकर पढ़ती थी यह बहुत शुभ होती है यह कोई पक्षी ऊपर से जाता है l

और वह डालता है पता नहीं कौन पक्षी होता दिखाई भी नहीं देता यहां बसंत का जैसा मौसम है और घनघोर जंगल है शायद इसीलिए कोई पक्षी ऊपर से ऐसी वर्षा कर रहा है


लेकिन फिर उनकी मात्रा इतनी बढ़ गई मेरी फ्रेंड में खोई हुई थी बाहर देखने में मेरे फ्रेंड वहां से खिसक गई और दोनों लड़के भी हंस रहे थे और मैंने उनकी तरफ ध्यान नहीं दियाl

 मैंने कहा वह बसंत की बौछार लगाकर हंसी बस का ब्रेक लगा सब एक के ऊपर एक दम लग कर एक के ऊपर एक धक्का लगा कर गिरे जा रहे थे l

और मेरे ऊपर हंस रहे थे मैं इतने अनजान थी क्योंकि वह कोई बौछार और बसंत की बूंदें नहीं थी वह तो मेरे सामने वाली सीट पर बैठे बुद्धा टेंपल से 3 संत जो बुद्धा टाइप के थे उन्हें भी उल्टी ओ की समस्या थी l

उनकी उल्टा ही में बसंत की बौछार समझ रही थीl

 सब लोगों ने हुआ है वह करके मेरा मजाक बनाया और मैं बन गई ऐसे करके हम भी उन लड़कों के साथ हंसने लगे गाया तुम्हारे फ्रेंड तो बहुत दिलचस्प हैं बहुत अच्छी बातें करते हैं ओके हम भी उनके बातों से थोड़ा थोड़ी दूर चलने पर वह हमारे बराबर वाली सीट पर बैठ गए l

और हमसे बातें करने लगे हम नहीं बताया कि हमारा स्टेशन आने वाला है l

हम उतर गए विंडो से हमें देख रहे थे और मानव कहना चाहते हैं कि अब हम कहां मिलेंगे अब हम कैसे मिलेंगे अपना नाम तो बताते जाओ अपना नंबर तो देते जाओ ऐसा उनके मन में चल रहा होगाl हमारे मन में भी ऐसा चल रहा था पर हमने उसे जारी नहीं दिया हम एक दुकान पर उतरे हमने वहां से कुछ खरीदा और हम मिलते हैं जीवन में कुछ ऐसे यादगार पलों से कुछ ऐसे इंसानों से कि वह जीवन भर याद तो रह जाते हैं पर कभी नहीं मिलते उनके मन में जो था वह भी नहीं कह पाए हमारे मन में जो था हम भी नहीं कह पाए और वह दिन था 14 फरवरी है ना ऐसे पल याद रहते रह जाते हैंl


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