मैं नहीं जानती
मैं नहीं जानती
मैं नहीं जानती कि दुनिया सही है या नहीं पर मैं बिल्कुल गलत नहीं हूं मैं एक साधारण से आत्मा हूं जो एक असाधारण सी जीव का निर्माण तो कर सकती हूं पर परिस्थिति मेरे अनुकूल हो वैसा नहीं कर सकते यादों के साए में हजारों अच्छी यादें हैं बेशक पर लाखों करोड़ों दुख होगा हम किसी को सुना नहीं सकती।
दुनिया बहुत खूबसूरत है बेशक लेकिन वह खूबसूरत ना लगे वह गम किसी को बता नहीं सकते सब सब सब कुछ है मेरे पास लेकिन सब कुछ हो कर भी मानो कुछ नहीं है दूसरों के नजरिए से तो मैं शायद सबसे ज्यादा भाग्यशाली कहला पर खुद जानती हूं कि मैं अपनी पीड़ा किसी को दिखा नहीं सकती अंदर से टूट कर रोकर बिलख कर भगवान को दोष देकर भी जीवन से छूट नहीं सकते।
दिन गुजर कर रात रात गुजर कर शुभ हो और सुबह तक मैं मुस्कुरा नहीं सकते मैं जी भर कर जाऊं या खत्म कर लो खुद को ताज्जुब है कि मैं ऐसा कोई नहीं है कर नहीं सकती।