साइकोलॉजी के मेरे अध्यापक
साइकोलॉजी के मेरे अध्यापक
यह बात नवंबर 2011 की है जब मैंने बीएड की पढ़ाई के लिए अपने पापा से ज़िद की पापा ने बोला कि हमारे पास इतने पैसे नहीं है और पैसे पेड़ पर भी नहीं लगते कि हिला दिया जाएगा और तुम्हारा एडमिशन हो जाएगा हर किसी ना किसी तरीके से मैंने जीत कर के एडमिशन ले ही लिया उस वक्त मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी या आप कह सकते हो कि मैं थोड़ा छोटा डिप्रेशन में थी डिप्रेशन मुझे क्यों हुआ था इसका मुझे भी मालूम नहीं था। बस हर अखबार हर रूपायन हर विज्ञापन में मैं B.Ed का एंट्रेंस एग्जाम की ही देखती थी क्योंकि मुझे एक लगन लग गई थी । कि मुझे भी B.Ed करनी है और फिर जब मैंने एडमिशन लिया तो क्लास में बैठे भी मेरी तबीयत बहुत खराब हो गई। कालांश की समाप्ति पर मेरे साइकोलॉजी के टीचर ने मुझे बाहर बुलाकर एकांत में कहा कि क्या तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है? क्या बात है बेटा? बताओ उनका उस तरीके से प्यार से बेटा कहना मेरी आंखों में आंसू भर देता है और मैं उन्हें बताती हूं सर मुझे रात में नींद नहीं आती और पता नहीं क्यों एक डर सा लगता है । कैसा डर मैं हूं ना बेटा कोई प्रॉब्लम हो तो मैं तो मुझसे शेयर करो उनका इतना दिलासा देना मुझे बहुत अच्छा लगा अगले दिन से मैं कुछ और खुश होने लगी क्योंकि सर मुझ पर स्पेशल ध्यान दे रहे थे। उन्होंने मुझसे वादा किया था कि मेरी सोच है और 1 दिन ठीक हो जाएगी मैंने भी वैसे अपनी सोच को बदलने की कोशिश की और फिर जब भी कोई क्लास होती थी और लेक्चर में लिखते लिखते मुझे नींद आ जाती थी। यह उन सर का दिलासा देना ही था कि मुझे दिन में भी नींद आने लगी थी । फिर मेरी दवाई छूट गई। और मैं बहुत खुश हूं 1 जनवरी 2012 का दिन आता है जब मैं न्यू ईयर पार्टी की तैयारी कर रही थी और उसमें होस्ट मुझे को बनाया गया था। मेरी साइकोलॉजी के अध्यापक को कोई जरूरी काम होने के कारण उन्होंने फोन किया किसी क्लास के बच्चे को कि वह नहीं आएंगे और जब यह खबर मुझ तक पहुंची तो मैं रोने लग गई। ठीक उसी तरीके से जैसे उस दिन रोए थे रोते-रोते बहुत बुरा हाल हो चुका था। सभी बच्चों ने कहा क्यों रो रही है पता चला कि साइकोलॉजी अध्यापक नहीं आए है इसलिए कुछ गलत मतलब निकाला था उसका पर ऐसा कुछ नहीं था मेरा सर कुछ विशेष लगाव था । अविराम मैंने उस पार्टी को पूरा करने की कोशिश की और मैं जैसे ही होस्टिंग कर रही थी तो मैंने बोला कि मेरी ही क्लास के कंटेस्टेंट गाना गाएंगे एक लड़की ने बहुत प्यार से देखा मुझे भैया ने आकर गाना गाया स्टेज पर और बैठ कर सब जैसे ही मैं ऑडिटोरियम पर खड़ी हुई मेरे सामने एक गुलाब का फूल प्रजेंट हुआ मैंने उस लंबे से गुलाब के फूल को इतनी सुंदरता के साथ देखा और देखा कि वह तो मेरे प्रिय सर के हाथ में था मैं बहुत खुश हुई मैं बहुत सरप्राइज जी सर आप आ गए मैं और रोने लगी आप क्यों नहीं आ रहे थे उन्होंने बोला मुझे कुछ आवश्यक कार्य था पर जैसे ही मुझे पता चला कि तुम यह कार्यक्रम नहीं करोगी और रो रही हो तो मैं तुम्हारे लिए आ गया। मैंने थैंक यू सर बोला हमने उस पार्टी में डांस किया एंजॉय किया और उस दिन से सरके बोलने का तरीका पढ़ाने का तरीका मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था । जब सर नहीं आते थे तो उनकी क्लास नहीं लिया करती थी । मैं उन्हीं की तरह उन्हीं के स्टाइल में पढ़ाया करती थी । उसी तरीके से क्लास मेंटल होती थी चौक पकड़ा करती थी और उसी तरीके से बोला करती थी जैसे वह बोलते थे उनकी एक्टिंग जब मैं करती थी तो बच्चों को बहुत आनंद आता था दूसरी क्लास के बच्चे मुझे बुला कर ले जाते थे और उनकी एक्टिंग करने को कहते थे ऐसा लगता था मानो वह सर मेरे अंदर प्रवेश कर गए हो फिर एक दिन मुझे पता चला कि सर नहीं आएंगे उन्होंने हमेशा के लिए छोड़ दिया है क्योंकि उनकी सरकारी नौकरी लग चुकी थी। मुझे बहुत खुशी भी हुई थी पर दुख इस बात का हुआ था कि इतने अच्छे अध्यापक से मुझे पढ़ने का मौका नहीं मिलेगा उन्होंने एक या 2 महीने ही वह क्लास ली थी लेकिन अपना व्यक्तित्व का प्रभाव मेरे ऊपर छोड़ा था। वह हमेशा बना रहा मुझे आज भी याद है उनकी बात जो उन्होंने नहीं थी देखना बहुत जरूरी है पर सही मौके पर सही बात भी कहना बहुत जरूरी है जो इंसान जीवन भर करता है पर घर में हुई पीर का सहना बहुत जरूरी है और उनकी जब भी नहीं कहती थी तो देखने वाले सुनने वाले जाया करते थे क्योंकि यह बात बिल्कुल सही और सटीक शादी होती है मेरे जीवन पर अब लगता है कि उनकी बात तो यह थी उनसे मैं भी ज्यादा मुलाकात नहीं हो पाती लेकिन वह मेरे आदर्श थे उनका प्रभाव कुछ इस तरीके से मुझ पर पड़ा कि मैं नहीं समझ लिया मैं हार नहीं मानूंगी मेरे जीवन में बहुत सी दिक्कतें आई मेरी शादी हुई उसके बाद में फिर डिप्रेशन में चली गई उसके बाद पता नहीं कितनी सारी समस्या मेरे जीवन में आई और मैंने यह समझ गया था कि मुझे कुछ तो करना है मुझे उन अध्यापक की तरह एक अच्छा नेचर बंद करना है जो अपने विद्यार्थियों के काम आ सके उनको दुख को दूर कर सके उनकी तरह पढ़ाने का स्टाइल में अपना सुकून अध्यापक अध्यापिका बन के पर मैं बहुत कुछ कर सकती हूं क्या हुआ कि अगर मेरे सपने पूरे नहीं और सभी संघर्ष और घरेलू विडंबना उसे एक दिन अध्यापिका बन गई और अध्यापिका बनकर मैंने सबसे पहले अपने बच्चों को पोयम सुनाई जो मेरे साइकोलॉजी के अध्यापक ने मुझे सुनाई थी बरसात में हो तालाब भी हो जाते हैं कमजोर पर आप इसे बाहर कभी समंदर नहीं होते मेरे हर जीवन की प्रस्तुति में मुझे लड़ने की हिम्मत दी है मैं अपने उन अध्यापक का दिल से शुक्रिया अदा करती हूं और वह मेरे दिल में हमेशा रहेंगे मैं उनका बहुत सम्मान करते हैं।
