कुमार संदीप

Drama

5.0  

कुमार संदीप

Drama

हैवानियत

हैवानियत

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डरी सहमी काजल देर रात ऑफिस से घर आ रही थी। डर की वजह यह थी कि आज ऑफिस से घर लौटने में देर हो चुकी थी और आज के इंसानों की हैवानियत बखूबी जानती थी काजल।

ऑटो से उतरने के कुछ दूर जाने के बाद था काजल का निवास स्थान। ऑटो से गंतव्य तक पहुंचने तक का सफ़र बहुत ही कष्टप्रद था आज उसके लिए। आखिरकार घर पहुंच गई सही सलामत काजल।

काजल की चेहरे की रंगत देखकर उसकी माँ समझ गई थी उसकी हालत और समाज में फैले गंदगी को भी। आज कुछ इंसान हैवानियत की हद पार कर जाते हैं और कर देते हैं शर्मसार मानवता को मेरी बेटी आज से पहले कभी भी इतनी नहीं डरी और सहमी थी।

यही मन ही मन सोच रही थी काजल की माँ। आखिर काजल और काजल की माँ और परिवार के अन्य सदस्यों की चिंता जायज है वाकई में कुछ इंसान आज के समय में इंसान कहलाने के काबिल नहीं हैं।


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