कुमार संदीप

Tragedy Inspirational

4.1  

कुमार संदीप

Tragedy Inspirational

कड़ी मेहनत

कड़ी मेहनत

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ज़िंदगी हर घड़ी परीक्षा लेती है पर यदि हम प्रतिकूल परिस्थिति में टूट जाएंगे तो मंजिल कभी नहीं प्राप्त कर सकते हैं।ज़िंदगी ने छोटू को इस मोड़ पर ला दिया था जहां वह किसी तरह जी रहा था पर उसने हार न मानने का प्रण लिया था।पिता का साया असमय ही छोटू के सिर से उठ चुका था।परिवार की आर्थिक स्थिति प्रतिकूल थी।पर छोटू परिवार को ख़ुश रखने के लिए अपनी माँ को ख़ुश रखने के लिए कड़कती धूप में भी तन को तपाता था।और पढ़ना-लिखना भी उसने नहीं छोड़ा था।हाँ,विद्यालय में अक्सर वह अनुपस्थित रहता था क्योंकि दिन में वह दूसरे के यहाँ काम करता था।कमाई कम ही हो पाती थी किसी तरह घर खर्च और पढ़ाई का खर्च चलता था।सुबह-सुबह पेपर बाँटने का भी कार्य करता था और निश्चिंत होकर ख़ुद भी समाचारपत्र में लिखे प्रेरणादायक आलेख को अक्सर पढ़ता रहता था।आधी रात तक पढ़ाई करता था और सुबह जल्दी उठ जाता था।आखिर परिवार की ज़िम्मेदारी भी तो उसके सिर पर थी।घर में छोटू और उसकी माँ और एक छोटी बहन थी।छोटू आठवीं कक्षा में प्रवेश ही किया था कि बीमारी की वजह से उसके पिता का देहांत हो गया था।तब से परिवार की ज़िम्मेदारी उसने अपने सिर पर ले ली।उसके पिता की ख़्वाहिश थी कि मेरा पुत्र बड़ा होकर पढ़-लिखकर कोई अच्छा काम करे और खूब नाम कमाए। अपने पति की याद जब भी आती थी मुनिया की आँखों से अश्रु की नदियाँ बहने लगती थी।छोटू यह दृश्य देखकर द्रवित हो जाता था और माँ के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए पूर्ण प्रयत्न करने लगता था।छोटू कहता था "माँ तू रो मत! तेरी आँखों में आँसू मैं नहीं देखना चाहता।ईश्वर की मर्जी के समक्ष हम बेबस हैं माँ।माँ मैं विश्वास दिलाता हूँ तुम्हें कभी भी तुझे तकलीफ़ नहीं महसूस होने दूंगा।पापा के सपने को मैं पूर्ण करूंगा माँ।एक दिन ज़रूर कुछ अच्छा करुंगा।" छोटी उम्र और सपने इतने बड़े इतनी अनमोल बातें बेटे के मुख से सुनकर मुनिया की नजरों में उम्मीद की किरणें दिखाई देने लगती थी।मुनिया कुछ पल के लिए अपने आँसू छिपाने लगी।और बेटे के सिर पर हाथ रखकर उसने कहा " ज़रूर बेटा! मेरा लाल तू इक दिन बड़ा आदमी बनेगा सदा आशीर्वाद तेरे साथ है तेरी माँ का बेटे और तेरे पापा जहां कहीं भी होंगे तुझे आशीष प्रदान कर रहे होंगे। "समय गुजरात गया काम के साथ-साथ पढ़ाई भी छोटू ने जारी रखी।कड़ी मेहनत और माता-पिता के आशीर्वाद और अच्छे संस्कार की बदौलत जिले के ही एक स्कूल में शिक्षक के पद पर वह नियुक्त हो गया।उस दिन माँ की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था।पहले दिन पदभार संभालने के दौरान ही छोटू की आँखों से ख़ुशी के आँसू बहने लगे।सभी शिक्षक और विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने छोटू को संभालने का प्रयत्न किया।प्रधानाध्यापक ने कहा " मैं जानता हूँ आपने अपने जीवन में बहुत सारी कठिनाईयाँ झेली है परिवार की ख़ुशी के लिए आपने अपना सर्वस्व समर्पित किया है।आपके दुख के दिन अब गुजर गए हैं मत रोइये।आपके पापा आज जहाँ कहीं भी होंगे बहुत ख़ुश हो रहे होंगे।"छोटू ने प्रधानाध्यापक जी के चरणों को छूकर आशीर्वाद प्राप्त किया।छोटू शुरू से ही संस्कारी था।माता-पिता ने बेहतर संस्कार प्रदान किए थे छोटू को।अब परिवार में सभी ख़ुश थे।बहन के बेहतर शिक्षा दिलाने की और बहन की शादी धूमधाम से करने का प्रण लिया छोटू ने। हालात चाहे जैसी भी हो यदि हम हारना नहीं जानते हैं तो निश्चित ही हमारी जीत होती है इस बात को सत्य कर दिखलाया छोटू ने।माता-पिता के अच्छे संस्कार और कड़ी मेहनत की बदौलत आज वह बहुत ख़ुश है।और बच्चों को किताबी ज्ञान देने के साथ बच्चों को वह यह सीख भी देता है कि मुश्किलों से हमें मुँह नहीं मोड़ना चाहिए एक-न-एक दिन हमारी जीत और हमें सफलता निश्चित ही प्राप्त होती है।


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