भिक्षुक
भिक्षुक


बिटिया रानी की शादी अच्छे घर में हो इसलिए दीनबंधु सदैव चिंतित रहते थे।बिटिया की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ा था उन्होंने।अच्छे संस्कार भी दिए थे माता-पिता ने नेहा को।नेहा काबिल और समझदार थी।बिटिया की शादी के लिए कई घर के दरवाजे दीनबंधु ने खटखटाए पर हर जगह निराशा ही हाथ लगी।बेटे वाले दहेज में ढ़ेर सारे धन और भौतिक सुख सुविधाओं की अपार मांग रखते थे।एक दिन निराश होकर एक कोने में बैठे और रोते जैसे ही नेहा ने अपने पिता को देखा नेहा चिंतित हो गई।और समझ गई कि पापा क्योंं चिंतित हैं।नेहा ने कहा "पापा आप मायूस मत होइए!मेरी शादी की चिंता तनिक भी आप मत कीजिए!दहेज की मांग करने वाले भिक्षुक क्या जानेंगे रिश्ते की परिभाषा?जिस परिवार को धन से अधिक मतलब है उस परिवार में आपकी बेटी को कहाँ प्रेम और स्नेह मिलेगा।ऐसे परिवार में तो हरगिज मैं शादी नहीं करुंगी।एक दिन पढ़ लिखकर अपनी एक अलग पहचान बनाऊँगी।आपको फिर मेरी शादी के लिए चिंतित नहीं होना पड़ेगा पापा।"दीनबंधु के आत्मविश्वास में अब वृद्धि हो गई थी।भिखमंगे दहेज के लोभी परिवार में अपनी बेटी की शादी न करने का वचन दीनबंधु ने लिया।