फर्क

फर्क

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"ले एक सुट्टा लगा ले। इस नर्क का सब दर्द पल में भूल जायेगा।"


"रहने दे! इस नर्क से तो कभी न कभी निकल कर जीवन सुखमय बना लूँगा। पर यह जो नशा है पहले तो सुकून देता सा लगता है पर बाद में अपना गुलाम बना कर सीधे मौत का रास्ता ही दिखाता है।"


कहते हुये हुए उसने इंकार कर कदम अपनें गंतव्य की ओर बढ़ा दिए।


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