बच्चा नहीं
बच्चा नहीं
"बधाई हो, बच्चा हुआ है।"
हर बार की तरह जनाना हस्पताल की उस उपचारिका ने प्रसव के बाद इन्हीं शब्दों से बधाई दी। लिंगभेद की प्रखर विरोधी होने के कारण वह कभी यह नहीं कहती थी कि बेटा हुआ है या बेटी हुई है।
वार्ड के बाहर खड़ी वृद्ध महिला को बच्चे के जन्म की बधाई देकर वह फिर से अंदर जाने लगी ही थी कि, उस वृद्ध महिला ने कौतुहलवश पूछा, “लेकिन सिस्टर, लड़का है या लड़की ?”
“उससे क्या फर्क पड़ता है ? जानवर तो नहीं हुआ। जच्चा ठीक है और आंगन में एक स्वस्थ बच्चे की किलकारी गूँजने वाली है, उसकी ख़ुशी तो है ना !“ और वह उस वृद्ध महिला का चेहरा देखे बिना ही दूसरी महिला का प्रसव करवाने चली गयी।
दूसरी महिला ने भी एक शिशु को जन्म दिया, उपचारिका ने बच्चे का लिंग देखा और बाहर जाकर उस महिला के पति से कहा,
"जच्चा ठीक है, डिलीवरी भी नॉर्मल हो गयी, और.... उसके बच्च... किन्नर हुआ है।"
उसके स्वर की लड़खड़ाहट आसानी से पहचानी जा सकती थी।
