Ragini Pathak

Abstract Drama Others

4.3  

Ragini Pathak

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औरत के दिल का रास्ता

औरत के दिल का रास्ता

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आज दोपहर में रूप की ननद निशि और नंदोई नितेश घर आने वाले थे तो रूप सुबह से तैयारियों में लगी हुई थी। क्योंकि कुछ भी गड़बड़ हुई, तो सबके गुस्से का शिकार उसको ही होना होता।

रूप और अभय की शादी छ: महीने पहले ही हुई थी रूप शांत, हँसमुख और संकोची स्वभाव की थी। इसके विपरीत उसके पति अभय और सास का मानना था कि बीबी और बहू की लगाम कसकर रखनी चाहिए। जबकि ननद और ससुर जी बहुत ही व्यवहारिक और हंसी खुशी रहने में विश्वास रखते थे। लेकिन अफसोस कि पूरे घर में दबदबा सिर्फ सास और अभय का ही चलता था। दोनों अगर किसी की सुनते या बात मानते तो वो सिर्फ नितेश का ही क्योंकि वो इस घर के दामाद थे।

दोपहर में निशि और नितेश जी घर पर आए। हाल समाचार और बातचीत होने के बाद रूप के पति अभय ने रूप को आवाज लगाते हुए कहा "रूप यहां आना''

आवाज सुनकर रूप भागती हुई हॉल में पहुंची।

तो अभय ने कहा "जाओ जाकर सबके लिए खाना लगा दो। "

जवाब में रूप ने सिर्फ "हम्म" कहा और वहाँ से चली गयी।

रूप के साथ सबके व्यवहार को उसके नंदोई नितेश बड़े ध्यान से देख रहे थे। रूप सिर्फ सबके सवालों के हां,ना का ही जवाब देती। और वहाँ से अपने कमरे में चली जाती।

खाना खाने के बाद नितेश ने कहा "भाभीजी कमाल का स्वादिष्ट खाना बनाया आपने, पेट भर गया लेकिन मन नहीं, क्यों भाईसाहब सही कह रहा हूँ ना मैं? आपकी तो किस्मत खुल गयी ऐसी बीवी पाकर, भाभीजी आप कुछ नहीं बोल रही क्यों, आप भी तो कुछ बोलिये।"

" ये क्या बोलेंगी नितेश जी, वैसे औरतों कम ही बोले तो अच्छा रहता है, घर परिवार की सुख शान्ति के लिए, और अच्छा खाना बनाना कौन सी बड़ी बात है, खाना तो हर औरत को आता ही है बनाने,अगर औरत खाना भी ना बना पाए तो उस पर धिक्कार है-" अभय ने कहा

"अच्छा! भाभीजी मैं तो भाई साहब की बातों से सहमत नहीं, आप बोलिये क्या कहती है,क्या ये सच है कि जिस औरत को खाना बनाना ना आये उसपर धिक्कार है, उसे शर्म आनी चाहिए"- नितेश ने कहा|

"अरे! ये क्या बताएंगी? अभी इनकी इतनी हिम्मत कहाँ जो हमारे खिलाफ बोले, पतियों के खिलाफ वो औरतें बोलती है, जिनकी लगाम कसकर नहीं रखी जाती, सुखी वैवाहिक जीवन उसी व्यक्ति का है जिसने अपने बीबी की लगाम कसकर रखी है।"- अभय ने कहा

इतना सुनते ही निशि और नितेश एक दूसरे को देखने लगे। क्योंकि नितेश इस तरह के विचार ना ही रखते थे ना ही रखने वालों से सहमत रहते थे।

तब नितेश ने कहा "अब समझा मैं भाभी जी के खामोशी का राज, भाईसाहब थोड़ा कड़वा होगा आपके लिए लेकिन सच सुन लीजिए अब तो आप। आपकी ऐसी सोच होगी मैंने सोचा भी नहीं था, छ: महीने हुए है आपकी शादी को सिर्फ देखकर कौन कहेगा? भाभी जी के चेहरे पर एक मुस्कुराहट नहीं, डर डर कर काम किये जा रही है कि कही कोई गलती ना हो जाये। अगर आप जैसी सोच मैंने भी रखी होती तो आज निशि के चेहरे पर ये मुस्कुराहट ना रहती। आप भूल रहे है शायद की निशि को भी खाना बनाना नहीं आता था लेकिन इस बात को लेकर ना मैंने ना मेरे घर वालों ने कभी भी एक शब्द नहीं कहा निशि को, पूछ लीजिये चाहे तो अपनी बहन से"

"आपने एक इंसान से शादी की है जानवर से नहीं जो लगाम लगाने की जरूरत पड़े। "

सुखी वैवाहिक जीवन का राज बीबी की लगाम कसकर रखना नहीं, बल्कि उसके दिल में प्यार का रास्ता बनाकर खुद वहाँ बसना होता है। पत्नी को अगर प्यार और सम्मान दिया जाये तो वो खुद ही पति को देवता बनाकर पूजती है। वो हर बात सुनती समझती है।

अरे! नितेश जी आप तो नाराज हो गए, मेरा वो मतलब नहीं था और आप कहां रूप की तुलना निशि से कर रहे है दोनों में बहुत फर्क है - अभय ने कहा

अच्छा क्या फर्क है जरा जानू तो, यही ना सिर्फ की निशि आपकी बहन, लेकिन भाईसाहब एक चीज जो दोनों में समान है और वो की दोनों ही औरतें है तो सम्मान पर दोनों का ही समान अधिकार है। चाहे औरत किसी की भी माँ, बहन या पत्नी हो।

भाईसाहब, एक पति अपनी पत्नी के दिल में डर पैदा कर के उसको चुप तो करा सकता है, लेकिन तब उस इंसान के लिए पत्नी के दिल मे सम्मान और प्यार नहीं रह जाता। लेकिन अगर आप ने औरत को प्यार सम्मान दिया तो उसके दिल में आपके लिए प्यार और सम्मान बढ़ जाता है। उम्मीद करूँगा की मेरी बात समझ आ गयी होगी आपको, और अब आप लगाम कसने की बजाय दिल मे बसने के रास्ते बनाएंगे।

तभी नितेश की नजर पास बैठी अपनी सास पर पड़ी उनको देखते ही नितेश ने कहा "क्यों माँजी सच कह रहा हूं ना... औरत होकर कम से कम आपको तो ये बात भाई साहब को समझनी चाहिए थी।" नजरें झुकाए रूप की सास बस चुपचाप देखती रही।

चलता हूं, मैं तो यहाँ खुशियाँ बाँटने आया था लेकिन आपका व्यवहार देखकर तो मैं शर्मिंदा हो गया। चलो निशि ,

फिर अभय ने कहा "नितेश जी रुकिये! आप सही कह रहे है। मैं शर्मिंदा हूं अपनी सोच पर। लेकिन वादा करता हूं कि अब मैं अपनी सोच बदल दूंगा। रूप को पूरा मान सम्मान मिलेगा इस घर में,"

तभी रूप ने कहा "जीजा जी आपकी पसंदीदा कॉफी रेडी हैं। आइये गुस्सा छोड़िये।"

नितेश जी और अभय मिलकर कॉफी पीने लगे। तभी रूप ने निशि को धीरे से धन्यवाद कहते हुए कहा "दीदी अगर आप जैसी ननद हर घर में हो तो कोई भाभी दुःखी ना"

निशि ने रूप का हाथ पकड़ते हुए कहा "भाभी !आपकी तरह मैं भी किसी की बहू पत्नी भाभी हूँ, मैं जानती थी कि मेरे समझाने का असर भाई और माँ पर नहीं होगा, और मुझसे आपका ये मायूस चेहरा भी नहीं देखा जा रहा था इसलिए मैंने नितेश को कहा।

जिस तरह हम औरतें पूरे परिवार के दिल की बात बिना कहे जान जाते है। उसी तरह घर वालों का भी फर्ज बनता है, कि हमारे दिल की भी सुने। और हम औरतों के दिल का रास्ता तो बहुत ही आसान होता, हम छोटी छोटी प्यारी बातों से, सम्मान और प्यार से ही खुश हो जाते है।


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