Surjmukhi Singh

Romance

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Surjmukhi Singh

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अरेंज मैरिज (एक तरफा प्यार)- 9

अरेंज मैरिज (एक तरफा प्यार)- 9

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"मतलब …? मैं बुरा नहीं हूं …!"यश ने आंखें मटकाते हुए पूछा ,अलका की आंखों से आंसू छलक आये," तुम बुरे नहीं.., बहुत …बहुत …बहुत …बुरे हो …!"अलका ने गुस्से में रोते हुए कहा और उसका कॉलर पड़कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसके गले लग गई ! यश को उसके इस हरकत की उम्मीद ना थी। वह हवा में ही रह गया पर अलका के इस तरह लिपटने से उसके दिल को एक अलग ही सुकून मिल रहा था ।


"यश बहुत जालिम हो तुम …पहले तो अपनी बेरहमी वाले शर्तों से मेरी जान निकाल ली और हद पार होने पर उसे सुधार रहे हो …!"अलका गुस्से में उससे लिपट कर ही उसे खरी खोटी सुनाने लगी ! लेकिन यश मुस्कुरा रहा था।


" यश तुम इतनी जल्दी यहां …?!"एक आवाज ने उनका ध्यान भडटकाया दोनों ने हैरान होकर आवाज की दिशा में देखा तो दरवाजे पर सीमा हैरान खड़ी उन्हें देख रही थी, उसे वहां देखकर अलका छेंप गई, वह यश से दूर हुई और वॉशरूम में चली गई।


"हां, दी …वह मैं यहां एक जरूरी काम था ,एक फाइल भूल गया था उसे लेने आया था…!" यश को उस वक्त जो बहना सूझा उसने कह दिया ।


"ठीक है फिर …जब वापस जाओगे तो मुझे बताना मुझे बाहर कुछ सामान लेने जाना है मुझे ड्रॉप करते जाना …!"सीमा ने गौर से टेबल पर रख खाने को दिखा फिर यश को दिखा वह समझ गई कि यश वहां किसी और काम से नहीं अलका के लिए आया है ,वह उसे खाना खिला रहा था। सीमा दांत पिसती हुईं वहां से निकल गई। उसे जाते देखा यश ने राहत की सांस ली ।


"अलका… मैं तो तुम्हारे साथ यहां खाना खाने आया था पर तुम यार बहुत लेट करती हो तो… मैं अपने हिस्से का खा लेता हूं ..तुम्हारे हिस्से का छोड़ दूंगा खा लेना…!" यश ने जोर से आवाज लगाकर कहा और खाना खाने लगा। जब अलका थोड़ी देर तक बाहर नहीं आई तो ,"ओ सॉरी… देखो तुम अब भी देर कर रही हो.., मैंने तो सारा खाना खत्म कर दिया और शायद बाहर भी खाना नहीं बचा होगा! मैंने देखा था डाइनिंग टेबल पर खाना बहुत कम रखा हुआ था ,जिसे मैं लेकर आया था शायद तुम्हें आज भूखा ही रहना होगा, अच्छा मैं चलता हूं।" उसने ऊंची आवाज में कहा और कमरे से बाहर निकल गया ।


उसके जाने की आवाज सुनते ही अलका वॉशरूम से बाहर आई उसने दरवाजे की तरफ झांक कर देखा और सोफे के पास आई खाने के प्लेट के ऊपर दूसरा प्लेट ढका हुआ था ।वह उसे देखकर मायूस हो गई ,"भुक्खड़ कहीं का बढ़ाया था मुझे खाना खिलाने सारा खुद खाकर चला गया, भूख तो रोज मुझे लगती है पर दिल पर पत्थर रखकर सह लेती हूं ना पर इतने से भी उस जालिम का पेट नहीं भरा… मेरा भूख जगा कर भाग गया …!"अलका ने नाराज होते हुए सोफे पर बैठकर कहा फिर उसके दिल से एक आवाज आई कि उसे प्लेट का ढक्कन हटा कर देखना चाहिए उसने प्लेट का ढक्कन हटाया तो हैरान हो गई । उस प्लेट में आधा टुकड़ा रोटी और आधी के सब्जी के अलावा सब कुछ पहले जैसा था जिसे देखकर वह खुश हो गई।


" किलर …तुम हमेशा किलर ही रहोगे …!"उसने नाराजगी में भी मुस्कुराते हुए कहा और प्लेट का खाना खाने लगी!


"वाह …मम्मी …!दोपहर का खाना तो और भी ज्यादा टेस्टी बनाती हैं, लेकिन रात को बिल्कुल फीका सा खाना बनाती हैं.., पापा को चटपटा खाना माना है तो हमारे बारे में तो सोचना चाहिए ना …!"वह शिकायत करते हुए पूरा खाना खा गई !


"आह …!आज कितने दिन बाद दिल और पेट दोनों को राहत मिली …!"अलका आंखें बंद कर राहत से सांस लेते हुए सोफे के पीछे टेक लगाकर लेट गई !अचानक उसे अपने ऊपर किसी की गर्म सांस महसूस हुई उसने आंखें खोल कर देखा तो हैरानी से उसकी आंखें फैल गई ! यश उसके चेहरे के बहुत करीब उसे मुस्कुराता हुआ देख रहा था।


बाकी अगले भाग में…!


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