क्या तुम सिर्फ मेरे हो ट्रेलर
क्या तुम सिर्फ मेरे हो ट्रेलर
"अब कॉल क्यों कर रहे हो…? भूल जाओ मुझे…!" ज्योति ने बहुत नाराजगी और गुस्से में फोन पे कहा !
"अगर तुम मेरी गलती माफ नहीं कर सकती , तो मुझे भी तुम्हारे बगैर जीने की कोई चाहत नहीं…!" अमर ने फोन पर ज्योति से बहुत उदास होकर कहा!
"तुम कहना क्या चाहते हो …!" ज्योति ने ना समझी से पूछा!
"वही जो मैं करने जा रहा हूं… मैंने दिल तोड़ा है ना तुम्हारी ..उसकी सजा मुझे मिलनी चाहिए…!" अमर ने बहुत गंभीर होकर उससे कहा
"नहीं अमर..! तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे …!"ज्योति उसकी बातें सुनकर बहुत परेशान होकर बोली।
"मेरी वजह से तुम्हें तकलीफ पहुंची… मेरे परिवार के सामने तुम्हें शर्मिंदा होना पड़ा… और मैंने उनके सामने तुम्हें ही पहचान से ही इनकार कर दिया …! जानता हूं, इसमें भी मेरी कोई गलती नहीं थी । लेकिन वजह चाहे जो भी हो.. तुम्हें मेरी वजह से तकलीफ हुई! सजा में खुद को दूंगा…!" अमर ने दृढ़ निश्चय लेते हुए कहा।
"प्लीज.. अमर ! तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगे। तुम खुद को चोट नहीं पहुंचा सकते…! मेरी खुशहाल जिंदगी की सिर्फ एक उम्मीद तुम ही हो..! अगर तुम्हें कुछ हुआ तो मैं जी नहीं पाऊंगी…!" ज्योति ने रोते हुए फोन पर अमर से कहा!
दूसरी तरफ से कोई जवाब मिलता उससे पहले ही दो गाड़ियों में टक्कर की बहुत जोरदार आवाज आई। जिसे सुनने के बाद ज्योति की सांस थम गई।
पात्र परिचय:-
हीरो - अमर
हीरोइन -ज्योति
ज्योति का पति -प्रकाश
ज्योति की मां- कावेरी जी
उसकी फ्रेंड- जीविका
अस्पताल की हेड डॉक्टर- शोभा जी
फिलहाल के लिए इतना ही बाकी पत्रों का परिचय सही वक्त आने पर हो जाएगा।
प्रिया पाठक यह एक नई रचना उम्मीद है आप इसे पढ़ेंगे और मुझे प्रोत्साहित करेंगे आपकी रेटिंग समीक्षा और प्रतिक्रिया की अभिलाषी सूरजमुखी।