Surjmukhi Singh

Others

4  

Surjmukhi Singh

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किसी कि अमानत हो तुम-5

किसी कि अमानत हो तुम-5

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"लेकिन क्या डॉक्टर …?!"उमेश जी की बेचैनी अब डर में बदलने लगी!


"डॉक्टर प्लीज बताइए… क्या हुआ हमारे ऋषभ को…? आप इस तरह चुप क्यों हो गए…?!" निभा जी भी बहुत परेशान होकर उनके सामने आई!


"सॉरी निभाजी… हमने ऋषभ को ठीक करने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश की… लेकिन हम नाकामयाब रहे …!"डॉक्टर बहुत निराश होकर बोले!


"प्लीज …आप जो भी कहना चाहते हैं ,जल्दी कहिए…! मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही है …!"उनका दिल अब डर से बेतहाशा धड़कने लगा ! वही उमेश जी अपने दिल को कठोर करके डॉक्टर के जवाब का इंतजार कर रहे थे।


"हमने अपनी तरफ से उनका ट्रीटमेंट बहुत अच्छे से किया ,पर रिजल्ट उतना अच्छा आया नहीं, उन्हें चोट सर पर बहुत गहरी लगी है… और ट्रीटमेंट के 2 घंटे तक उन्हें होश नहीं आया,, ऐसी कंडीशन में पेशेंट के बारे में कहना थोड़ा मुश्किल होता है ! ऐसे केसेस में हमेशा पेशेंट का कोमा में जाने का डर होता है…, हमें डर है कहीं ऋषभ भी …!"डॉक्टर इसके आगे का शब्द नहीं कह पाए, क्योंकि उनकी बातें सुनकर ही वह दोनों अपनी हिम्मत हार चुके थे!


उमेश जी के चेहरे पर निराशा के काले बादल छा गए, वहीं निभाजी निराशा से भरी हुई दुख भरी नजरों से ऋषभ को देखने लगी।


"डॉक्टर ...कब तक हमारा ऋषभ ठीक होगा…?!" उमेश जी ने अपने दर्द से फट रहे दिल को समेटे हुए पूछा!


"यह तो… हम अभी नहीं कह सकते उमेश जी ! क्योंकि पेशेंट की ऐसी हालत पर किसी भी डॉक्टर का जवाब देना मुश्किल होता है , हमने अपना हंड्रेड परसेंट इनके ट्रीटमेंट में टाइम लगाया । लेकिन रिजल्ट वह हमारे हाथ में नहीं ,यह कब होश आएंगे? हम बता नहीं सकते । डॉक्टर ने ऋषभ के पास जाते हुए कहा!


उमेश और निभा जी की हालत इस वक्त बहुत खराब थी ! होती भी क्यों ना माता-पिता के सामने जब उनका अपना बच्चा इस तरह जिंदगी और मौत के बीच हो तो उनकी ऐसी हालत होना लाजमी है । उमेश जी अपने दिल का दर्द संभालते हुए ऋषभ के पास पहुंचे । ऋषभ उनका सबसे लाडला और इकलौता बेटा है, इसलिए उसे इस हालत में देखना उनके लिए सबसे ज्यादा दर्द भरा था। उन्होंने उसके सर पर बहुत प्यार से हाथ फेरा तो उनकी आंखों से आंसू झलक आए।


"इट इज़ वेरी रॉन्ग ऋषभ…, तुम इस तरह अपने डैड को अकेले छोड़कर इतनी गहरी नींद नहीं सो सकते…,, तुम्हें इतनी नींद आ कैसे सकती है…? तुमने कहा था ना… तुम बहुत कुछ करोगे ,मेरा बिजनेस नंबर वन पोजीशन पर लेकर जाओगे और पीहू का क्या वह कहां है …? तुमने यह भी नहीं बताया। क्या तुम्हें उसकी फिक्र नहीं हो रही …? !"वह बहुत दुखी होकर ऋषभ से बात करने लगे, उन्हें उम्मीद थी कि वह जवाब जरूर देगा, पर अफसोस उन्हें उससे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली!


"क्या हो गया है आपको…? हमारा ऋषभ इस हालत में है और आप उससे उस लड़की के बारे में पूछ रहे हैं…? आपको सिर्फ उसका ख्याल है! आपको यह क्यों समझ में नहीं आता कि, जो कुछ भी हुआ सब उस लड़की के वजह से हुआ …मैं तो कहती हूं, अन्याय हुआ है हमारे ऋषभ के साथ। यह जो कुछ भी हुआ उस पीहू के साथ होना चाहिए था…!"," चुप… बिलकुल चुप …बोलने से पहले एक बार सोच लो की… क्या बोल रही हो …!"निभा जी गुस्से में जो मन में आ रहा था बोले जा रही थी! तो उमेश जी ने उन्हें बीच में रोकते हुए गुस्से में कहा उनका गुस्सा देखकर वह खामोश हो गई!


"माना कि आप मां है …आपको अपने बेटे की फिक्र है! लेकिन जिसके बारे में कह रही हैं वह भी किसी की बच्ची है ।आई डोंट बिलीव इट …आप हद से ज्यादा सेल्फिश कैसे हो सकती हैं …? हर बार पीहू को कोस रही है ,जबकि आप भी जानती हैं,, इन सब में उस बेचारी की कोई गलती नहीं। क्या वह रेंजर के पीछे पड़ी है ,उसके साथ जबरदस्ती कर रही है नहीं। वह तो हमारे ऋषभ को पसंद करती है और ऋषभ उससे शादी करना चाहता है …दोनों इस रिश्ते से खुश हैं! जिसके बीच वह रेंजर आ रहा है , इन दोनों को अलग कर अपना जिद पूरा करना चाहता है, उसमें पीहू की क्या गलती …?!"उमेश जी ने बहुत गुस्से में निभा जी की तरफ देखकर कहा! उनका चेहरा गुस्से में पूरी तरह लाल हो चुका था, जिसे देखने के बाद वह कुछ नहीं बोल पाई!


"अब बस… मैं इस बारे में आपके मुंह से कोई बात सुना नहीं चाहता… इसके बाद आप एक लफ्ज़ पीहू के बारे में नहीं कहेंगी। वह बेचारी तो इस वक्त खुद ही कहीं फांसी होगी ,मैं जा रहा हूं ,अनुपम जी से उसके बारे में पता करने के लिए । तब तक आप यहीं रहकर ऋषभ का ख्याल रखिए …!"उन्होंने गुस्से में लाल आंखों से उनकी तरफ देखा और आईसीयू रूम से बाहर चले गए! निभा जी उन्हें जाते हुए हैरानी भरी नजरों से देखती रह गई!


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वहीं शहर से दूसरी तरफ एक खूबसूरत घर जो पूरी तरह फूलों से दुल्हन की तरह सजी हुआ थी। जिसकी रौनक देखने लायक थी । वही अंदर का मंजर कुछ और ही था, हर तरफ फूलों से सजे खूबसूरत से घर के अंदर मातम सा पसर था।


हाल के सोफे में कई लोग बैठे थे, सभी के चेहरे में एक गहरी निराशा थी, उन सब के बीच अनुपम जी भी बेहद खामोश आंखों में नाउम्मीदी और आंसू लिए चुपचाप बैठे थे। सर की पगड़ी हाथ में थामे पूरे घर को नजर भर देख रहे थे , एक अलग ही दुनिया में खोए हुए थे।


" लो… कर लो विदाई… बड़ा घमंड था अपनी लाडली पर, लो कर गई मुंह काला…! इसीलिए कहती थी, बिन मां की बच्ची को इस तरह सर पर ना चढ़ा कर रखें, वरना बहुत महंगा पड़ेगा …!"अनुपम जी की बड़ी बहन उर्मिला अपने स्वभाव के अनुसार उन्हें खरी खोटी सुनाई जा रही थी!


"अरे…! घर छोड़कर भागने से पहले जरा तो अपने पिता के मान सम्मान का ख्याल किया होता…? बेवकूफ लड़की ने यह तक नहीं सोचा कि उसके बाद दो और बहने हैं उसकी। उसके इस तरह अपनी ही शादी से भाग जाने पर उन दोनों के भविष्य पर क्या असर होगा …? कैसे हाथ पीले होंगे उनके …?!"उर्मिला जी फिर एक बार गुस्से में जहर उगलने लगी! उनकी बातें सुनकर अनुपम जी कुछ बोलने को हुए पर सिर्फ होंठ हिला कर रह गए, क्योंकि वह जानते थे वह इस वक्त जो भी कहेंगे ,उनकी बहन उसका खंजर बनाकर उन्हीं के घायल दिल को और जख्मी करेगी ,,इसलिए उन्होंने चुप रहना ही सही समझा और वहां से उठकर अपने कमरे की तरफ चल पड़े।


जैसे ही निराशा से भरे हुए वह अपने कमरे में पहुंचे तभी उनका फोन बजा । उन्होंने चौक कर अपने शेरवानी की जेब की तरफ देखा और अपना फोन निकाल कर देखने लगे, फोन में आए नंबर को देखकर उनकी आंखें लगभग चमक उठी, उन्होंने कॉल आंसर किया।


"जी ..उमेश जी! कहिए …बच्चे सलामत तो है ना… वह एयरपोर्ट पहुंच गए…! ऋषभ से कहना कि मेरी पीहू का अच्छे से ख्याल रखें…, दिल पर पत्थर रखकर मैंने उसे यहां से भगाया है…! बोलिए ना …आप चुप क्यों है …! "वह बहुत परेशान होकर उमेश जी से पूछने लगे।


"सॉरी… अनुपम जी! अब ऋषभ पीहू बेटा का ख्याल नहीं रख पाएगा …,रेंजर के आदमियों ने ऋषभ का एक्सीडेंट करवा दिया है,, वह इस वक्त हॉस्पिटल में जख्मी कोमा में है …!"उन्होंने बहुत दुखी होकर जवाब दिया ! उनकी बात सुनकर अनुपम जी के तो जैसे सर पर पहाड़ ही टूट पड़ा, वह बहुत आहत होकर अपने ही बेड पर धम से बैठ गए।


बाकी अगले भाग में,,,




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