Surjmukhi Singh

Drama Romance Others

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Surjmukhi Singh

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अरेंज मैरिज (एक तरफा प्यार)-13

अरेंज मैरिज (एक तरफा प्यार)-13

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"बॉस ....हम वहां पहुंच चुके हैं, यश अभी अपनी फैमिली के साथ पार्क के अंदर गया है..., मौका मिलते ही हम उसकी वाइफ को गायब कर देंगे …!"वन के पीछे पिछले सीट पर बैठे शख्स ने अलका को देखते हुए फोन पर किसी से कहा!


" बहुत अच्छे… पर संभाल कर यह मत भूलना की यश साथ में है , बाज़ कि नजर है उसकी अगर तुम लोग उसकी नजरों में आए!


" तो छोड़ेगा नहीं तुम्हें …!"फोन के दूसरे तरफ से रॉकी ने कहा!


" हम ध्यान रखेंगे.., साया बनकर उनके पीछे रहेंगे.., फिर भी उन्हें भनक नहीं लगेगी कि हम हैं…!" वन में बैठे शख्स ने बहुत घमंड से कहा !


"यह कॉन्फिडेंट मुझे अच्छा लगा …लेकिन जिसका शिकार करने तुम पहुंचे हो... उसका रखवाला खुद एक शिकारी है …!क्योंकि जो वह हमेशा कहता है , वह करता नहीं! और जो करता है कभी कहता नहीं इसलिए एक-एक कदम फूंक - फूंक कर रखना…!" राॅकी ने अपने आदमियों को वार्निंग देते हुए कहा!


यश और अलका अपने अपने मम्मी- पापा के साथ पार्क के अंदर दाखिल हुए वहां का नजारा देखकर सभी बहुत खुश थे! पार्क के हर कोने में खूबसूरत फूलों का बहुत खूबसूरत गार्डन बना हुआ था ! कई सारे वॉटरफॉल भी बनाए गए थे, ट्रेन हेलीकॉप्टर जैसे और कई सारे वाहन छोटे आकार में मौजूद थे।


रुचि और उत्साह और अपनी तरफ बढ़ाते थे और मौसम दोनों ही बहुत खूबसूरत लग रहा था , जिसे देखकर अलका भी काफी खुश लग रही थी।


सफर के दौरान थके होने के कारण वह लोग एक पेड़ के नीचे चटाई बेचकर बैठ गए ।


"वाह …!यश बेटा क्या जगह चुना है तुमने पिकनिक के लिए… मजा आ गया…!" रमन ने पार्क देखते हुए बहुत खुश होकर यश से कहा।


" हां ..बिल्कुल , मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि तू हमें ऐसी जगह पर लेकर आएगा …सोचा था थानेदार है ,किसी होटल में नाश्ता कर आएगा और काम का बहाना कर छोटा बच्चा समझ कर घर में छोड़ देगा …,,लेकिन तू तो छुपा रुस्तम निकला …!"अखिलेश जी बहुत खुश होकर यश की तारीफ करने लगे !


यश उनके मुंह से अपने लिए तारीफ सुनकर अवाक होकर सिर्फ उन्हें देखता रहा। उसके साथ प्रतिमा जी भी उनके मुंह से उसके लिए तारीफ सुनकर हैरान थी। क्योंकि जब से यश का दिल टूटा था तब से दोनों बाप बेटे में कभी नहीं बनी हमेशा एक दूसरे को दुश्मन की तरह दिखते थे, कभी एक दूसरे से बात नहीं करते थे ,कभी अगर एक दूसरे से सामना हो भी जाए तो उनमें से एक मुंह फेर कर चला जाता था, वही आज का नजारा उससे उल्टा था । अखिलेश सामने बैठे उसके मुंह पर उसकी तारीफ कर रहे थे ।


"एंजेल भी ना …अपना मासूम चेहरा दिखा कर हमेशा अलका का मन जीत लेती है …देखो तो हम यहां बैठे हैं और वो उस बेचारी को वहां धूप में अपने साथ खेलने के लिए ले गई…!" प्रतिमा अलका और एंजेल को साथ में खेलते हुए देखकर नाराजगी से बोल रही थी !


वह लोग जहां बैठे थे उसके कुछ दूरी पर ही एंजेल और अलका एक फुटबॉल के साथ आपस में खेल खेलने में उलझी थी !


"चलिए कुछ खा लेते हैं.. फिर हम भी वक्त के साथ थोड़ा बदलकर इस माहौल का आनंद लेंगे…!" अखिलेश जी ने रमन जी से उनकी राय जानने के लिए पूछा !



"जी …आप बिल्कुल सही कह रहे हैं .,घर गृहस्ती से तो अपने लिए वक्त निकालना 'लोहे के चने चबाने जितना मुश्किल है ' तो जब मौका मिला है तो …इस मौके का आनंद ले लेना चाहिए ...क्यों अलका की मां इस उम्र में बच्चे बनने की इजाजत है …?!"रमन ने शरारत भरी अंदाज में नीति जी से पूछा वह उनके इस अंदाज को देखकर हैरान तो थी ही बातों को सुनकर अवाक रह गई !



वही अखिलेश जी की नजर यश पर पड़ी तो उन्होंने प्रतिमा जी के कंधे को हिला कर उसकी तरफ देखने का इशारा किया, उन्होंने जब उसकी तरफ देखा तो मुस्कुराने लगी।


यश अपलक अलका और एंजेल को खेलते हुए देखकर मुस्कुरा रहा था। प्रतिमा जी सबके लिए नाश्ता सजा रही थी कि उनकी नजर अलका के मम्मी पापा पर गई ।


जो अलका और यश को सवाल भरी नजरों से देख रहे थे उन दोनों की हाव -भाव से उन्हें समझ में आ गया कि वह क्या सोच रहे हैं !


उन्होंने पानी का बोतल यश को थमते हुए कहा," तू आराम करने के लिए पिकनिक पर आया है क्या …?जा ये पानी अलका को दे दे और उनके साथ खेल देख एंजेल कितना थक रही है अलका को ...जा जरा उनकी मदद कर दे …!" यश ने उनकी तरफ देखा और पानी का बॉटल लेते हुए मुस्कुरा दिया क्योंकि वह इसी आदेश का तो इंतजार कर रहा था । अपने माता-पिता को सामने देखकर उसके मन में कई संकोच थे जो प्रतिमा जी के आदेश से खत्म हो गए ,वह खुश होकर उठा और पानी का बोतल लेकर उनकी तरफ चल दिया।


" क्या …हम आप लोगों के साथ खेल सकते हैं …?!"यश ने झुक कर एंजेल से पूछा, और अलका की तरफ पानी का बोतल बढ़ा दिया । अलका ने पहले हैरानी से उसका चेहरा दिखा तो यश ने पलकें झटका कर उसे पानी का बोतल लेने का इशारा किया ।अलका ने पानी का बोतल थाम लिया और पानी पीने लगी ।


"ओके पापा …हम साथ में खेलेंगे बहुत मजा आएगा…!" नन्ही सी एंजेल हाथ में फुटबॉल लेकर खुश होकर आई और यश के टांगों से लिपट गई !



"आप रोज शिकायत करती थी ना कि ..पापा आपके साथ नहीं खेलते ,आज हम खूब मस्ती करेंगे…!" यश ने एंजल के हाथ से फुटबॉल लेते हुए कहा!


" तब तो बहुत मजा आएगा …!"वह खुशी के मारे उछलने लगी ! अलका पानी पीते हुए उन दोनों को देखकर मुस्कुरा रही थी ।


"चलो... भई कोई हमें भी खेलने देगा…?!" अखिलेश जी के साथ रमन और प्रतिमा भी वहां आए!


" वाह …पापा ! आप लोग भी हमारे साथ खेलोगे तब तो सच में बहुत मजा आएगा …!"अलका ने उन सबको खेलने के मूड में देखकर खुश होकर कहा ।


अखिलेश जी ने एंजल के हाथ से फुटबॉल लिया और सभी गोल घेरा बनाकर खड़े हो गए और एक दूसरे की तरफ फुटबॉल फेंक कर उसे कीक मारकर खेलने लगे।


यश ने उन सब के बीच नीति को न देखकर उस पेड़ की तरफ मुड़ कर देखा जहां वह मुस्कुराती हुई उन्हें लोग को देख रही थी । उसने कुछ सोचा और वहां से उनके पास जाने के लिए चल पड़ा।


" मां …! आप खेलने नहीं आई…?!" उसने उनके पास बैठते हुए पूछा ! उन्हें यश का अपने पास आना अच्छा लगा।


" हां..यह खेल कूद मुझे तो नहीं होता.. मैं अलका की तरह बंदरिया नहीं हूं …जो हर वक्त खेलने में मगन रहे …!"उन्होंने अलका की तरफ देखकर कहा ,उनके मुंह से अलका को बंदरिया कहते सुन उसको बहुत हंसी आई पर उसने हंसी को अपनी अंदर ही रोक लिया ।अगले ही पल उसके भाव सख्त हो गए।


" मां...आपसे कुछ पूछना था …?!" उसने एकदम से उनकी तरफ देखकर पूछा, वह उसके बदलते हुए रूप को देखकर चौकी।


"हां …पूछो क्या पूछना चाहते हो…!" उन्होंने उसे बोलने का मौका देते हुए कहा!


" बस यही कि… यह तस्वीर किसकी है? इसमें है वह अलका दिख रही है, मैं जानता हूं…! पर उसके साथ कौन खड़ा है…?!" यश ने अपनी पॉकेट से अलका कि वह अधूरी तस्वीर निकाल और उन्हें दिखाते हुए पूछा, जिसे देखते ही नीति जी की आंखें हैरानी से फैल गई!




बाकी अगले भाग में…!


क्रमशः


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