Surjmukhi Singh

Romance

4.5  

Surjmukhi Singh

Romance

अरेंज मैरिज (एक तरफा प्यार)-5

अरेंज मैरिज (एक तरफा प्यार)-5

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274


यश के गठीले बदन को देखकर उसे घबराहट महसूस होने लगी थी ।जैसे उसके तन का तापमान अचानक बढ़ने लगा हो, उसकी सांसे अटकने लगी ,माथे से पसीना अच्छा लगता था, उसके चेहरे पर इस तरह घबराहट देखकर यश को मजा आ रहा था । 


"आज सारा हिसाब चुकता कर दूंगा , बहुत शिकायत करती है ना तुम्हारी होंठ …!"कहकर यश ने अपनी निकले होंठ को दांतो तले दबते हुए उसके होठों को बहुत लालच बुरी नजर से देखा अलका की नगरी हैरानी से चार गुना ज्यादा फैल गई। ऐसी नजरों की उम्मीद ना की थी ।वो उसके करीब आता ही जा रहा था जिससे इसकी धड़कन तेज दौड़ने लगी। लेकिन उसके दिल में कहीं एक सुकून का भी एहसास था कि अब तक का उसका इंतजार असफल नहीं हुआ। शादी की रात उसने यश से जुड़े जितने भी अरमान सजाए थे ,वह आज उसे हकीकत होते नजर आ रहे थे। यश के होंठ जैसे ही उसके होंठों को छूने को हुएं उसने घबराहट से अपनी आंखें बंद कर ली। 


यश के होठों ने उसके होठों छुआ ही था कि यश का फोन बज उठा फोन की आवाज सुनकर अलका ने अचानक से अपनी आंखें खोली यश अभी उसके उतने ही करीब था। उसकी आंखों में देखता रहा । "यश नाश्ता तैयार है ...जल्दी आजा !"उसी वक्त प्रतिमा की आवाज आई जिसे सुनकर यश का गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया ।उसके जबड़े गुस्से में कस गए । यश ने मुट्ठी कसली और दीवाल को एक मुक्का मार वो एक पल के लिए डर गई। उसने जल्दी उसे धक्का मारा और वहां से अपने कमरे के लिए भागने लगी। भागते वक्त अलका की पायल इतनी तेज छनक रही थी जो उसके दिल का पूरा हाल बयां कर गई। उसे इस तरह भागते हुए देखकर यश के होठों पर एक मुस्कुराहट ठहर गई।


 " यह तो बस शुरुआत है ,तुम्हारी हालत इतने से इतना खराब हो गई । तुम क्या नफरत करोगी? अब देखो आगे तुम्हारे साथ क्या-क्या होगा ..?!"यश ने अलका की छनकती हुई पायल की आवाज को गौर से सुनते हुए कहा और मुस्कुरा कर तैयार होने लगा। 


अलका भागते हुए अपने कमरे में पहुंची उसने जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया और उसी से सटकर खड़ी हो गई। वह अपने सीने पर हाथ रखकर अपने बेकाबू दिल पर काबू पाने की कोशिश करने लगी। होठों पर एक गहरी मुस्कुराहट थी, जैसे आज वह दुनिया जीत कर आई हो।


 " क्या यह हकीकत है , जो अभी मेरे साथ हुआ.. और वो जो मैंने यश कि आंखों में देखा, क्या वह सच में... वो करने वाला था... .!"सोच कर वो जोर-जोर से सांसें लेने लगी। थोड़ी देर बाद उसने खुद को शांत किया और फ्रेश होकर हाल में नाश्ता करने आई ।


 प्रतिमा ने पहले ही सब कुछ तैयार कर रखा था। उन्होंने उसे देखते ही डाइनिंग टेबल पर बैठने का इशारा किया। वो डाइनिंग टेबल पर बैठ गई । उसके चेहरे का रंग गुलाबी सा दिख रहा था उसकी नजर यश के कमरे की तरफ गई। झांकी यश अपने इंस्पेक्टर यूनिफॉर्म में आ रहा था। 


वह एकटक उसे देखने लगी। वैसे वह जब भी इंस्पेक्टर यूनिफॉर्म में उसके सामने आता। वह उसे देखने में खो जाती थी। यश इंस्पेक्टर यूनिफॉर्म में काफी अट्रैक्टिव लगता है। यश भी डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ रहा था। तब उसे अपने ऊपर किसी की नजरे महसूस हुई उसने नजर उठाकर आगे देखा अलका को अपनी तरफ देखकर मुस्कुराने लगा। जब दोनों की नजरे मिली अलका ने तुरंत अपनी नजर झुका ली।


 यश के होठों की मुस्कुराहट और गहरी हो गई। वह ठीक उसके सामने वाले टेबल पर बैठा उसकी नजर सिर्फ अलका की आंखों में थी थोड़ी देर बाद अखिलेश सीमा और प्रतिमा भी नाश्ता के लिए आए सभी अपनी सीट पर बैठ गए प्रतिमा ने सबको नाश्ता परोसा अलका सिर्फ नजरे झुकाए फल काटते हुए सब का टुकड़ा धीरे-धीरे खा रही थी। क्योंकि डॉक्टर ने उसे सुबह नाश्ता में फल खाने को कहा था। 


"मुझे आने में आज बहुत देर हो जाएगी, प्रतिमा जी आप खाने में मेरा इंतजार मत करिएगा ..!"अखिलेश ने निवाल मुंह में रखते हुए कहा ,जी प्रतिमा ने मुस्कुरा दिया उन्हें उनका जवाब मिल गया ! 


"लेकिन मम्मी ,मैं आज जल्दी आ जाऊंगा... क्योंकि मुझे कुछ हिसाब चूकते करने हैं !"यश की बातें सुनकर अलका ने नजरे उठाकर उसे दिखा तो यश ने अपनी एक आंख दबा दिए अलका सकपका गई, उसके मुंह में जाने वाला निवाला गले तक ही अटैक कर रह गया ,उसे खांसी होने लगी। 


" क्या कर रही है..? देख कर खा ना ...!"प्रतिमा फिक्र करते हुए उसके पास आई, उन्होंने एक गिलास पानी उसकी तरफ बढ़ाया अलका ने अपनी सांसों पर लगाम करते हुए धीरे से पानी पी लिया! उसने कन्खियों से यश को दिखा ।


वह अब भी उसे उसी तरह मुस्कुराता हुआ देख रहा था। अलका के दिल में एक अजीब सी बेचैनी और घबराहट पैदा होने लगी। 


" मम्मी, मैं एंजेल के साथ नाश्ता करुंगी.. उसे लेकर आता हूं!" अलका बहाना करते हुए डाइनिंग टेबल से उठी और यश के कमरे की तरफ चल दी। 


" क्या हुआ यश..? आज तुम कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रहे हो..?!" अखिलेश की नजर उसे पर पड़ी तो उन्होंने पूछ लिया.. क्योंकि बहुत दिनों बाद उन्होंने उसे इस तरह मुस्कुराते हुए देखा। "बस जिंदगी बदल रही है…!" यश ने उनसे मुस्कुराकर कहा। "ओह दी... आप...…?!" यश ने सामने बैठी सीमा को देखकर हैरान होकर कहा जिस पर अब तक उसका ध्यान नहीं गया था!


 " चलो तुम्हारी नजरों ने रहमत उठाकर मुझे देखा तो लिया, कब से तुम्हारे सामने ही बैठी हूं… फिर भी तुम्हें दिखी नहीं। क्योंकि लगता है... तुम्हारी नजरों ने किसी की गुलामी करने की कसम खा रखी है..!" सीमा ने बहुत गुस्से में कहा !


 "दी.. ऐसी बात नहीं है…!"" बस आगे कोई सफाई नहीं चाहिए मुझे… सब जानती हूं.., मैं तो यह सोच रही हूं क्या हो गया है आप लोगों को …? 'एक अनार सौ बीमार 'एक लड़की के पीछे पूरा घर पागल है… जिसे देखो सिर्फ उसके पीछे पड़ा है ,जैसे बाकी दुनिया में कोई है ही नहीं ।"सीमा ने उसकी बात कटे हुए बहुत गुस्से में कहा, उसकी नाराजगी साफ झलक रही थी! 


" ऐसी कोई बात नहीं है दी ...वह कुछ दिन पहले जो हादसा हुआ उसकी वजह से अलका घायल हो गई थी। इसलिए सब उसका ख्याल रख रहे हैं… और वह है ही इसी काबिल !" सीमा को समझाते हुए एक बार फिर यश की नजरे अलका को ढूंढने लगी। यह देख सीमा का गुस्सा और बढ़ गया ! "कर लो दीवानगी यश…, पर ज्यादा दिन यह सब नहीं चलेगा…!"


बाकी अगले भाग में…


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