Shailaja Bhattad

Abstract

2  

Shailaja Bhattad

Abstract

अपनापन

अपनापन

1 min
142


यह क्या शिवांगी तुम्हारा छाता तो बुरी तरह टूटा हुआ है। कैसे तुम खुद को बारिश से बचा पाती हो? इतना कह माधुरी ने अपना छाता निकाल कर उसे दे दिया। बहुत-बहुत धन्यवाद मैडमजी आपकी यही आत्मीयता ही तो मुझे इस मूसलाधार बारिश में भी घर पर नहीं बैठा पाई ।

घर पर बैठे-बैठे रह-रहकर कभी मैं बारिश देख रही थी तो कभी सोच रही थी ऑफिस, बच्चे और घर तीनों आप कैसे संभाल पाओगी और बस यही सोच पड़ोसी से छाता मांग कर चली आई।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract