अनोखा प्यार
अनोखा प्यार
साहिल और कविता की शादी की रिसेप्शन पार्टी है। सारे मेहमानों के जाने के बाद परिवार और खास मित्र अपने अपने समूह में बैठकर बातें कर रहे थे । साहिल और कविता मित्रों के बीच बातें कर रहे थे तभी हंसी मजाक के बीच साहिल के मन में कविता के प्रति आए लगाव, एक राज की तरह दिलों में बंद रही जब यह बात खुलकर सामने आया तब कविता के साथ उसकी सहेलियां भी चकित हो गई। उनके मन में बात आयी कि 17 - 18 साल के छोटी सी उम्र में हुए आकर्षण को गम्भिरता से लेकर उसे पहले प्यार का सम्मान दे, दिल में सजाकर रखा वास्तव में आश्चर्य की बात है।
सभी के मन में आए जिज्ञासा को देखते हुए, समीर ने कहा कि "हमारे भाई साहब गजब के छूपे रूस्तम है। मैं बताता हूं, इन दोनों का जन्मदिन एक ही तारीख को आता है। कविता भाभी ने अपनी सहेलियों के साथ अपनी 16th जन्मदिन मनाने जिस होटल में गईं थीं, संयोग से साहिल भाई हम दोस्तों को लेकर 18th जन्मदिन मनाने पहुंचे। द भाई आगे की कहानी तुम्हारे जुबा से ही अच्छी लगेगी। "
साहिल ने टालने की कोशिश की, किन्तु सबकी जिज्ञासा देख बताया कि "कविता अपने सोलहवें जन्मदिन पर बहुत उत्साहित हो गई थी और अपनी सहेलियों के साथ खुशी मनाने के लिए होटल में पार्टी दी। देखकर लग रहा था कि सभी सहेलियां सोलहवां साल होने की खुशी मना रहे है। टेबल पर केक रखा गया कविता ने केक काटा सहेलियों ने हेप्पी बर्थडे सांग गाया। उसी समय संयोग से मैं भी अपने दोस्तों के साथ जन्मदिन मनाने उसी होटल में पहुंचा।" अंकुर ने कहा कि " ये लड़कियां कभी भी बड़ी नहीं हो सकती। "
मैंने समर्थन में कहा कि "इस लड़की की उम्र एक साल और बढ़ गई, पर देखो मन दिमाग चार साल की बच्ची का है केक काटकर कितनी खुश हो गई।" एक टेबल पर बैठ कर सूप पीते, बातें करते हुए देख रहे थे। तभी कविता ने खूबसूरत अंदाज़ में गाया "सोलह बरस की बाली उमर को सलाम, प्यार की पहली डगर को सलाम "
सोनम ने गाया "इस डगर का हमसफ़र कौन "
मैं मुग्ध हो देखता रहा, लाल फ्राक, खुले बाल, मासूम सा चेहरा और मीठा आवाज। मैंने अपने आप आगे की लाईन जोड़ दिया "प्यार के पथ पर चलने को इस हमसफ़र को स्विकार करो"
अर्श ने चुप कराके बैठा दिया। और कहा कि "अपने जन्मदिन पर चप्पल उपहार में पाना चाहता है। लड़की छेड़ना हमारा काम है, तू कब से शुरू कर दिया।"
समीर ने कहा कि "साहिल आज जवान हो गया।" साहिल आंखें बंद कर खो सा गया और उसने कहा कि "सभी के लिए हंसी मजाक की बात थी किन्तु ये मासूमियत मेरी जिंदगी बन गई। मैं कविता को पहली बार देखा था। उसके विषय में कुछ नहीं जानता था, पर उसकी हर चीज इतनी प्यारी और अपनी लगने लगी कि इसके लिए कोई शब्द नहीं रहा। हंसना, बातें करना, शरमना सब कुछ अपना सा लगा। मेरा पहला प्यार प्राणवायु में अमृत बन कर जीवन में समा गया। दोस्तों से पूछा क्या तुम लोग उसे जानते हो।"
अर्श ने कहा कि "इन मामलों का गुरु मैं हूं, पहले शिक्षा ले लेना फिर आगे बढ़ना। फोकटफंड में मार मत खिलवा।"
समीर ने कहा कि "इसे यहां से ले चलो, ये तो सच में
मजनू बना जा रहा है। कुछ देर और रुक गए तो अपने साथ हम सब को मुसीबत में फंसाएगा।
दोस्तों ने कहा कि "अपने जन्मदिन पर चप्पल उपहार में लिखवा कर आया है। परन्तु मैं जान गया था कि भगवान ने मुझे उस सोलह बरस की खूबसूरत लड़की को मेरी जिंदगी में उपहार दिया है। इस पल को और ईश्वर को धन्यवाद दिया। पर ये नालायक दोस्त उस होटल से मुझे ले आए।" कविता का पता लगाया। कविता के घर का चक्कर लगाना, उसे देखना अच्छा लगता था। इसके आगे कभी नहीं बढ़ पाया। मन में आया कि बात करूं। बस देखकर कल पर टाल देता। उस वर्ष मैं किसी तरह पास हो गया वहीं बहुत था इतना कम नम्बर पहली बार आया। मां खूब रोयीं, पापा ने धूनायी की , मैं बहुत दुःखी हुआ। पर दोस्तों ने कविता को दोषी ठहराया इसपर मेरा दोस्तों से झगड़ हो गया। महिने भर घर से बाहर नहीं निकला। अर्श और समीर घर आकर खुब डांट लगाये, मेरी सारी बरबादी का दोष कविता पर डाला। मेरा मानना था कि कविता को कुछ भी नहीं मालूम फिर दोषी कैसे हो सकती है। मैंने आज तक उसे कुछ नहीं कहा जब उन्हें पता चला कि मैं शर्म से उसके सामने नहीं जा रहा हूं। मुझे जबरन कविता के घर के सामने ले आये, उस समय कविता अपनी नई स्कूटी को पोंछ रही थी। समीर और अर्श मुझे बात करने के लिए उकसा रहे थे। मैंने दोनों से कहा कि "जब मैं कविता के लायक बन जाऊंगा तभी उससे बात करूंगा। "
उसके बाद मैंने जमकर पढ़ाई की। जितने बार कविता को देखता या उसे याद किया, उतनी बार मेरी प्रतिज्ञा दृढ़ हो जाती। दूसरा संयोग देखिए जिस मेडिकल कॉलेज में मैंने दाखिला लिया, उसी मेडिकल कॉलेज में कविता ने भी दाखिला लिया। मैंने दोस्ती का हाथ बढ़ाया और कविता ने मुस्कुरा कर स्वीकार कर लिया। बड़ों के आशीर्वाद से हम हमसफ़र बन गए।
कविता ने पूछा कि "मेरे स्कूटी पोंछने में ऐसा क्या था कि तुम सही निर्णय ले सकें। "
साहिल ने मुसकुरा कर कहा कि "मैंने तुम्हारे चेहरे पर खुशी, संतोष और स्वाभिमान पढ़ लिया था। तुम्हें पाना मेरा लक्ष्य रहा है किन्तु उससे बहुत ऊपर तुम्हारी खुशी, संतोष और स्वाभिमान है, आज मैं तुम्हें अपना विश्वास उपहार में देता हूूं। "
कविता के आंखों में खुशी के आंसू आ गए। कविता ने मुुस्कुरा कर साहिल का हाथ पकड़ कर कहा कि "मैं हमेशा तुम्हारी दोस्त बन कर रहूंगी ।
सोनम ने कहा कि "पहला प्यार हर दिल की धड़कन है और वो खूबसूरत पल, आक्सिजन बन जीवन को उर्जावान बनाये रखता है। "