गलती किसकी
गलती किसकी
अंश के ममेरे भाईया, पुनित भाईया और तन्वी भाभी आयें हैं । उनकी नई नई शादी हुई है, शादी के बाद पहली बार आयें हैं। पुनित पहले भी आता तब अंश और चीनी के मोहल्ले के सभी दोस्तों को घूमता अब तो उनकी तन्वी भाभी भी है। पुनित और तन्वी सभी बच्चों अंश,पल्लव, वीधू, चीनी, पलक, कावेरी को लेकर फिल्म देखने गए और घूमने भी गए। अब उन्हें घर पर सबके साथ बातचीत करने में ज्यादा मजा आता । एक दिन पुनित और तन्वी अकेले ही बाइक से दूर तक घूमने निकल गए। पुनित और तन्वी ने देखा कि एक सुनसान सड़क पर एक कार, स्कूटी को टक्कर मारकर निकाल गई। स्कूटी क्षतिग्रस्त हो गई है और उसमें सवार दम्पत्ति बुरी तरह से घायल हो गए। पुनित कार का पिछा किया पर कार बहुत तेज गति से भाग गया। तब तक तन्वी ने पुलिस को और एम्बुलेंस को फोन किया। तन्वी की नजर2- 3 माह की नन्ही बच्ची पर गई। उसने बच्ची को गोद में उठा लिया। एम्बुलेंस और पुलिस तुरंत पहुंच गए। किंकर्तव्यविमूढ़ से पुनित और तन्वी भी बच्ची को गोद में लेकर अस्पताल पहुंचे। उसी समय अंश के पापा ने पुनित को फोन किया तब पुनित ने सारी बात बताई और कहा कि ॔आप लोग परेशान मत होइए हम आ रहें हैं।॓॓ पुलिस को अपना फोन नंबर और घर का पता देकर बच्ची को साथ ले आए। घर आने में काफी रात हो गया था घर पर अंश की मम्मी जगी हुई थी बाकी सब लोग सो गए थे। बच्ची का आवाज सुन सभी जाग गए और सारी बातें जानने पर सभी को बच्ची से बहुत सहानुभूति हो गई । चीनी और अंश उसके साथ खेलने लगे। अंश ने पुनित के पास आकर कहा कि ॔ भईया उस कार वाले को मत छोड़िएगा। बेचारी नन्ही परी के साथ बहुत ग़लत किया है। इसके पापा मम्मी ठीक तो हो जायेंगे न भईया। ॓॓ अंश दौड़ कर अपने घर के मंदिर के सामने हाथ जोड़ कर प्रार्थना किया कि ॔॔भगवान नन्ही परी के मम्मी पापा को स्वस्थ कर दिजिए।, अंश की भावनात्मक प्रार्थना देख सभी की आंखें नम हो गई। ईश्वर ने उन्हें एक दिन की जिन्दगी दे दी फिर वे दम्पत्ति जिन्दगी के जंग हार गए। अस्पताल में नन्ही परी के बुजुर्ग दादा और दादी बैठे थे। एक दो परिचित आये भी तो नन्ही परी को तन्वी के गोद में पुचकार कर चले गए। जिस दिन उस बच्ची की मम्मी पापा की मृत्यु हुई , उस दिन नन्ही परी शांत थी । दादी ने अपनी पोती को सीने से लगाया। अब नन्ही परी की परवरिश की चिंता हुई। तन्वी ने देख लिया था कि उसके दादा दादी बुजुर्ग और बिमार है वे नन्ही परी को सम्हाल नहीं पायेंगे इसलिए उसने कहा कि ॔ पुनित , क्यों न हम इसे गोद ले ले।॓॓ तन्वी की बात पर पुनित परेशान हो गया और सभी चकित थे। अंश की दादी ने तुरंत कहा कि ॔ तन्वी इतना बड़ा निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जाता। जब तुम्हारा बच्चा होगा, तब इसके प्रति व्यवहार बदल सकता है। ॓॓
तन्वी ने कहा कि ॔ मैं समझ रही हुं, मेेेेरे अकेले का निर्णय नहीं हो सकता। मैं अपने आप को जानती हूं, मेरा व्यवहार इसके प्रति बड़ी बेटी का रहेगा। इसके जीवन की सारी सच्चाई इसेे बता देेेेंगे, कुुछ नहीं छुपायेगेेंं। इसके दादी दादा बुुजुर्ग और बिमार है वे अपने आप को सम्हाल लें बहुत है। बच्ची की परवरिश कैसे करेंगे। इसके मम्मी पापा के आंखों में मैंने देखा कि अपने जीवन से अधिक इसके जीवन की चिंता थी, कितना दर्द था । क्या कसुर था उन बेेेचारों का । भगवान ने हमें वहां पहुंचा दिया, नहीं तो क्या होता इस नन्ही परी का सोच कर मन डर जाता है। ये अनाथ बच्ची किसी गलत हाथोंं में चली गई तब। ॓॓
पुनित का भी उस बच्ची के प्रति भावनात्मक लगाव हो गया था इसलिए उसने तुरंत कहा कि ॔ इसे अनाथ मत कहो तन्वी। ॓॓तन्वी ने कहा कि ॔ इसे हमने नहीं अपनाया तो ये अनाथ ही कहलायेगी । इसे तो ये भी नही मालुम कि इसके ऊपर पहाड़ जैसा मुसीबत आ पड़ा है। कोई भी इसे अपनाने को तैयार नहीं है। वो खूनी कार इसकी जिन्दगी को तहस नहस कर चल दी ।॓
तन्वी रोने लगी। पुनित ने नन्ही परी के सिर पर हाथ रख कर कहा कि ॔ नन्ही परी, तेरे सिर पर तेरे इस
पापा का हाथ हमेशा रहेगा। तन्वी हम दोनों मिलकर इसे बड़ा करेंगे और इसका भविष्य बनायेंंगे।
फिर दोनों उसे प्यार करते हैं। अंश की दादी ने कहा कि ॔ एक दो दिन सोचने के लिए ले लो, जल्दबाजी मत करो।॓॓
दोनों ने कहा कि ॔ अब हमने सोच लिया, नन्ही परी हमारी प्यारी बेटी है।॓॓
दोनों उसे गले लगा लेते हैं। दुुुसरे दिन अंंश , चीनी, कावेरी, पल्लव और पलक बातें करते हैं कि ॔
एक्सीडेंट को कैसे रोका जाए।॓॓
चीनी ने कहा कि ॔ हर नन्ही परी को तन्वी भाभी नहीं मिल पाती।॓॓॓॓
बच्चों के बातों से समझ आ रहा है कि आसपास के घटनाओं का सोच पर असर पड़ता है। उधर
दादा और दादी आपस में बातें करते हुए कहा कि ॔ गर्व है आज की पीढ़ी पर संंकीरणता से ऊपर उठकर, उनकी सोच ऊंची है येेे मानवता की बात है कि जो जन्म लिया है उसे यदि हम अच्छी जिंदगी दे सकते हैं तो निश्चित देना चाहिए। इस तरह की दुर्घटना से कितने बच्चे अनाथ होते होंगेे। ॓