सही समय पर बेटी हुई लेकिन थोड़ी कमजोर थी। सबके चेहरे बुझे से थे सही समय पर बेटी हुई लेकिन थोड़ी कमजोर थी। सबके चेहरे बुझे से थे
परवरिश में तो कहीं कोई कमी नहीं रह गई। असमंजस की स्थिति बनी है जीवन की। परवरिश में तो कहीं कोई कमी नहीं रह गई। असमंजस की स्थिति बनी है जीवन की।
आपने भी क्या हाल बना लिया है अपना, आप अब रोहित को भूल क्यों नहीं जाते आपने भी क्या हाल बना लिया है अपना, आप अब रोहित को भूल क्यों नहीं जाते
अगर समय निकल गया और तब बुद्धि आये तो क्या फायदा अगर समय निकल गया और तब बुद्धि आये तो क्या फायदा
आपकी दादी माँ ने बहुत संघर्ष किया है और ये कहते कहते सौम्या मेरे गले लग गई। आपकी दादी माँ ने बहुत संघर्ष किया है और ये कहते कहते सौम्या मेरे गले लग गई।
आज अपने बच्चों के बीच हारे जुआरी की तरह बैठी हैं। आज अपने बच्चों के बीच हारे जुआरी की तरह बैठी हैं।