परवरिश में तो कहीं कोई कमी नहीं रह गई। असमंजस की स्थिति बनी है जीवन की। परवरिश में तो कहीं कोई कमी नहीं रह गई। असमंजस की स्थिति बनी है जीवन की।
गर सुबह को भुला शाम को घर लौट आये तो गंवाया कुछ भी नहीं बस पाया है। गर सुबह को भुला शाम को घर लौट आये तो गंवाया कुछ भी नहीं बस पाया है।
जिनको घर में काम नहीं है वो लोग बालकनी में दिन भर डटे रहते हैं। जिनको घर में काम नहीं है वो लोग बालकनी में दिन भर डटे रहते हैं।
तब चंचल धीरे से यही डायलॉग मार देती है " गूंगी बहू ले आते बोलती ही नहीं।" तब चंचल धीरे से यही डायलॉग मार देती है " गूंगी बहू ले आते बोलती ही नहीं।"
लोगों में अच्छाई खोजने का प्रयास करें ना की किसी की कमी निकाले ! लोगों में अच्छाई खोजने का प्रयास करें ना की किसी की कमी निकाले !
लड़की की ऐसी सोच पर सबको गर्व करना चाहिए, क्योंकि वह बहू ही घर में जन्नत लाती है। लड़की की ऐसी सोच पर सबको गर्व करना चाहिए, क्योंकि वह बहू ही घर में जन्नत लाती है...