अनकहा रिश्ता
अनकहा रिश्ता
वो मिला ,हम मित्र बने , हम साथ चलते ,पढ़ते , विचारों की नोंक झोंक चलती , दोनो को एक दूसरे का साथ अपार खुशी देता और शुरू हो गया सिलसिला प्यार का ।
कोई अनुबंध नही ,कोई शादी का प्रपोजल नहीं ,बस विचारों ,जज्बातों का साथ "अनकहा रिश्ता "