STORYMIRROR

मधुलिका साहू सनातनी

Abstract

3  

मधुलिका साहू सनातनी

Abstract

अम्मा की पैदाइश

अम्मा की पैदाइश

2 mins
7


 

           कमरे में ससुराल पक्ष के बहुत सारे लोग बैठे थे । विम्मी के पति जेठ देवर ननद एक जगह बैठे बहू आख्यान पर चर्चा कर दिवाकर को समझाने की कोशिश कर रहे थे -'बहू दूसरे घर की होती है और वह कभी अपने घर जैसी नहीं बन सकती और न अपने घर का भला सोच सकती है ।'

          विम्मी कमरे में बारबार सबकी जरूरत का सामान चाय नाश्ता ला -ला कर दे रही थी । जब भी वह अंदर आती इसी तरह की कोई ना कोई बात उसे लगे हाथ सुना दी जाती । वह भी समझ रही थी कि इन सारी बातों का असल टारगेट वह ही थी । उसके पति को उसके खिलाफ भड़काया जा रहा है ।

        अभी तक जेठ बोल रहे थे तो संस्कारवश चुप रही । इस बार जब कमरे में आयी तब दिवाकर ने उसे देखकर जड़ दिया, " बहुएँ कभी भी सगी नहीं हो सकती हैं । माँ बहनों को छोड़ कर बाहर से आयी बहुओं पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिये ।"

          इस बार पति के मुँह से वही बात सुन कर इस विषय पर विराम लगाने के लिये बोल पड़ी, " और क्यों अम्मा इसी घर में पैदा हुयी थीं क्या ? वे भी तो बहू हैं इस घर की । "

      अपनी अम्मा के लिये उन्हीं की कही बातें विम्मी द्वारा चिपकाने से सबको अचानक साँप सूंघ गया । बात अपनी जगह सही थी ।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract