STORYMIRROR

मधुलिका साहू सनातनी

Tragedy

3  

मधुलिका साहू सनातनी

Tragedy

अचानक वह कुत्ता

अचानक वह कुत्ता

4 mins
8

                        अचानक वह कुत्ता
     यह घटना आज से कम से कम साठ साल से ऊपर हो चुके बीती थी ।और आज भूले बिसरे क्षणों के शीर्षक के साथ ही अचानक याद आयी ।

        रामम कौशल जी कानपुर निवासी थे और शहर के आढ़तियों में एक उनका भी नाम था । जीवन सुखमय चल रहा था । प्रतिदिन प्रातः स्नानध्यान और मंदिर जाने से आरम्भ होती और फिर दैनिक दिनचर्या शुरू होती ।

        परिवारवालों में भी उनका अच्छा रसूख था । कोशिश करते कि सदा सबके साथ खड़े रहें - सुख में भी दुख में भी । रामकौशल जी इस तरह अपना और परिवार का पालन कर रहे थे ।

         एक दिन मंदिर से हो कर लौटे और भोजन उपरांत अपनी दुकान को पैदल ही निकल पड़े । पता नही उस दिन क्या ईश्वर को मंजूर था कि एक घर से अचानक एकपालतू कुत्ता बाहर निकला और मामा ससुर जी पर झपट पड़ा । क्षणभर की स्तब्धता  के बाद मामाजी ने अन्य राहगीरों की मदद से  कुत्ते को हटाया । कुत्ता उन पर से हटा तो दूसरों पर झपट पड़ा ।

         मामा जी को बुरी तरह से उसने नोच खाया था तो दुकान जाना छोड़ कर वे पहले अस्पताल भागे । मरहम पट्टी के बाद डॉ ने पूछा कि कुत्ता पागल तो नहीं था? पर कुत्ता पालतू था । इसलिए डॉ ने रैबीज का इंजेक्शन लगाना जरूरी नहीं बताया फिर भी मामा जी ने पूरे चौदह इंजेक्शन लगवा लिये और देखने लगे कि वह कुत्ता मरता तो नहीं ।
पहले रैबीज के इंजेक्शन आज की तरह नही बल्कि पूरे चौदह  पेट मे लगाए जाते थे और पीड़ादायी होते थे ।

        कुछ दिन बाद पता चला कि वह कुत्ता  बहुत आक्रामक हो गया था । उसने बहुतों को काटा था  । कुछ दिन बीतने पर पता चला कि वह कुत्ता मर गया । मामा जी ने सोचा कि चलो अच्छा ही हुआ कि उन्होंने रैबीज का इंजेक्शन लगवा लिया था ।

         फिर  दिन निकले वर्ष निकल गया फिर वर्षों भी बीत गये । इस बात को लगभग सभी भूल गये । लेकिन वही भूली बिसरी बात मामा जी किसी भी कुत्ते के द्वारा काटे जाने पर अपना उदाहरण दे कर लोगों को सजग करते रहते कि- 'मुझे  देखो मुझे पागल कुत्ते ने काटा और मैंने बिना देर किए रैबीज का इंजेक्शन लगवा लिया जिससे मैं आजतक ठीक हूँ । '

        लोग उनकी बात और उदाहरण को मान कर कभी ऐसी दुर्घटना होने पर रैबीज का इंजेक्शन अवश्य ही लगवा लेते । इस घटना को लगभग बीस वर्ष बीत चुके थे कि एक दिन  पुनः मामा जी अपनी दुकान के लिये निकले । आधा रास्ता ही पार किये होंगे कि उन्हें कुत्ते के काटे जाने वाले स्थान पर खुजली शुरू हुई । बड़ा आश्चर्य हुआ उन्हें । किसी तरह दुकान तो पहुँच गये पर खुजली बन्द नहीं हुई । तब उन्हें चिंता शुरू हो गयी ।

         वे सीधे दुकान से निकल कर अपने घर को भागे और अपनी पत्नी मामी जी से बोले, ' लगता है मुझे अस्पताल जाना चाहिये जल्दी से अस्पताल में काम आने वाली चीजों को बाँधो । ' मामीजी ने सारा सामान रखा और अस्पताल मामाजी के साथ भागी ।

         पूरे रास्ते मे मामा जी ने उनको पागल कुत्ते के काटने वाले स्थान पर होने वाली खुजली से शुरू हुई घटना बताई फिर यह भी बताया कि लगता है उन्हें रैबीज हो गयी है और रैबीज के सारे लक्षण बताये कि अब उनके साथ क्या क्या होगा । उनको संक्षेप में दुकान का हिसाब , लेनदारी, देनदारी बताया क्योकि इसके बाद वे होश में नहीं रहेंगे यह भी बताया । पूरे रास्ते मामी रोती रही और मामाजी को तसल्ली देती रहीं ।

         अस्पताल पहुँचते ही उनका इलाज शुरू हो गया । जिसको जैसे जैसे ख़बर मिलती लोग उनको देखने पहुँचते रहे । जब तक हम लोगों को खबर मिली तीन या चार दिन बीत चुके थे । यह घटना मेरे विवाह के पूर्व की है । जिसे मेरे ससुराल वालों ने बताया था । जब वे लोग अस्पताल उन्हें देखने पहुँचे तो हृदय विदारक दृश्य था । मामा जी बेड पर बँधे पड़े थे पूरे होश में भी नहीं थे । मरने की कामना कर चिल्लाते । बाद में बोलना भी बंद हो गया और मुँह से झाग निकलता रहता। इतनी हिदायते लेने के बाद भी अंत मे वे नहीं रहे ।

      डॉ से इतने लंबे अंतराल के बाद रैबीज का अटैक पड़ने का कारण पूछा गया तो वे बस इतना ही बता पाये कि सबकी बॉडी अलग अलग तरह से रिऐक्ट करती है  ।मतलब कुत्ते के काटे जाने के भी पंद्रह बीसवर्षों बाद भी अटैक पड़ सकता है ।

        शायद ईश्वर को उनके द्वारा गृहस्थाश्रम के दायित्वों को पूरा करने का इंतजार रहा होगा । या फिर उनके द्वारा सबको सहायता करने से लोगों की दुआओं का असर रहा होगा कि वे अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी पूरी कर पाये । पर किसके भाग्य में कई प्रकार की मृत्यु लिखी है यह तो ईश्वरीय निर्णय है ।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy