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Priyanka Gupta

Tragedy Inspirational Others

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Priyanka Gupta

Tragedy Inspirational Others

अलिंगम

अलिंगम

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तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा ऑडिटोरियम गूँज उठा था। शिवानी के लिए यह करतल ध्वनि उसके जीवन का सबसे मधुरतम संगीत था। आज उसे एपीआई तपस्या का फल जो मिल गया था। तब ही शिवानी को अपना स्वयं का नाम सुनाई दिया। 

"आज मैं जहाँ भी हूँ, अपनी माँ की बदौलत हूँ। मेरी माँ ने मेरी इस उपलब्धि के लिए के लम्बी लड़ाई लड़ी है और वह भी न केवल इस समाज के खिलाफ बल्कि, अपने परिवार के खिलाफ। "शिवांगी ने स्टेज से अपनी माँ शिवानी को पुकारा था। 

जैसे -जैसे शिवानी का एक -एक कदम स्टेज की तरफ बढ़ रहा था, वैसे -वैसे उसके दिल और दिमाग यादों के गलियारों में बढ़ रहे थे। 

शिवानी और सुयश दोनों दो दिल और एक जान थे। दोनों की अरेंज मैरिज हुई थी, लेकिन उनके आपसी प्यार और समझ को देखकर सब लोगों को लगता था कि दोनों की लव मैरिज हुई है। शिवानी अपने ससुराल में बहुत खुश थी। ससुराल में उसे भरपूर प्यार और सम्मान मिल रहा था। इसी बीच शिवानी को अपने २ से ३ होने की दस्तक मिली, इस खबर को सुनकर सुयश तो ख़ुशी से झूम उठे थे। पूरे घर में एक ख़ुशी की लहर छा गयी थी। 


खुशियों को चुनते -चुनते 9 महीने का समय तो पंख लगाकर निकल गया। शिवानी ने एक शिशु को जनम दिया, लेकिन यह शिशु सामान्य बच्चों जैसा नहीं था। डॉक्टर ने जैसे ही इस बात की खबर सुयश और दूसरे घरवालों को दी, सबकी ख़ुशी कुछ ही सेकण्डों में काफ़ूर हो गयी थी। 

बेमन से शिवानी और उस शिशु को घर पर ले जाया गया। जहाँ स्वागत में ढोल -मंजीरे बजने चाहिए थे, वहाँ श्मसान सी वीरानी थे। शिवानी को समझ नहीं आ रहा था कि अपने बच्चे के प्रति कोई इतनी घृणा कैसे रख सकता है। सब लोग इतने विचलित क्यों हैं ? वह तो अपनी गोदी में इस नन्ही जान को देखकर बहुत खुश थी, अगर यह अलिंगम है तो इसमें इसका क्या दोष है। यह तो ईश्वर का दिया हुआ सर्वोत्तम उपहार है। 

शिवानी अपने शिशु के साथ खुश थी। शिवानी को अपने इस बच्चे पर इतना प्यार लुटाता देखकर सुयश ने ही नहीं, दूसरे घरवालों ने भी उसे टोका और कहा ,"शिवानी यह बच्चा इस घर में कुछ दिनों का ही मेहमान है, तो तुम इसके साथ स्नेह का बंधन मत जोड़ो, तुम्हें तकलीफ होगी। "


लेकिन शिवानी उनका मतलब नहीं समझती थी और वह हमेशा यही कहती कि, "नहीं, मेरा बच्चा हमेशा मेरे पास ही रहेगा। "

लेकिन घर में कुछ दिनों बाद आये किन्नर समुदाय को देखकर शिवानी अपने घरवालों का मंतव्य जान गयी थी। सुयश और घरवालों ने शिवानी से दो टूक कहा कि ,"शिवानी इस बच्चे की असली जगह इस किन्नर समुदाय के साथ है। यह दुनिया और समाज कभी इस बच्चे को स्वीकार नहीं करेगा। हम सबकी और इस बच्चे की भलाई इसी में है कि यह बच्चा इनके साथ चला जाए। "

शिवानी के ऊपर तो वज्रपात सा हुआ, वह किंकर्तव्यविमूढ़ हो गयी थी, मानो उसकी चेतना कहीं विलुप्त हो गयी हो। "नहीं, यह मेरा बच्चा है, मैं इसे किसी को नहीं दूँगी। इस दूध पीते बच्चे को अभी अपनी माँ की ज़रूरत है। "शिवानी ने रोते हुए कहा। 

शिवानी के हृदयविदारक क्रंदन ने कुछ देर के लिए सभी को सकते में ला दिया था। फिर किन्नर समुदाय के प्रमुख ने सुयश की तरफ देखते हुए कहा कि "लगता है, माँ को पहले बताया नहीं गया था कि हम आने वाले हैं। "


फिर शिवानी की तरफ देखते हुए कहा कि ,"हम 15 दिन बाद दोबारा आयेंगे। तब हम बच्चे को लिए बिना नहीं जाएंगे। बेहतर होगा, अगर माँ अपना कलेजा पत्थर का कर ले। "

किन्नर समुदाय वापस आने का कहकर चला गया था। अब सुयश और सभी घरवाले शिवानी को समझाने लगे थे कि यह बच्चा हमारे परिवार का हिस्सा नहीं बन सकता। लेकिन शिवानी किसी भी कीमत पर अपने बच्चे को देना नहीं चाहती थी। शिवानी के मायके वालों ने भी आकर शिवानी को समझाया। किन्नर समुदाय को आने में अब केवल दो ही दिन बचे थे, तब सुयश ने कहा ,"शिवानी वैसे भी परसों वो लोग आकर इस बच्चे को हमेशा -हमेशा के लिए ले जाएंगे प्यार से या जबरदस्ती। "

शिवानी ने कहा ,"सुयश, आप इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं ?यह आपका भी अंश है। एक बार आँख उठाकर तो देखिये, इसकी यह प्यारी सी मुस्कान आपका भी दिल पिघला देगी। "


"शिवानी, इस बच्चे को देखकर मुझे घिन्न आती है। इसे देखते ही मेरे सामने सड़कों पर घूमते, नाचते ,भीख माँगते किन्नर समुदाय की तस्वीर घूम जाती है। यह मेरा बच्चा नहीं है। इससे मेरा कोई वास्ता नहीं। "सुयश ने घृणा से कहा। 

"उसमें किन्नर समुदाय नहीं, आपके जैसे पिता और परिवार वाले दोषी हैं, जो अपनी जिम्मेदारी से मुँह फेर लेते हैं। हमारा समाज दोषी है, जो किन्नर समुदाय को शिक्षा और रोज़गार के समुचित अवसर उपलब्ध नहीं करवाता। हम सब दोषी हैं, जो उन्हें अपने समाज का हिस्सा ही नहीं मानते, उनके प्रति या तो नफरत का भाव रखते हैं या दया का। ",कहते -कहते शिवानी हाँफने लगी थी। 

"तुम अपना यह भाषण किसी NGO के लिए सम्हालकर रखो। अगर तुमने इस बच्चे से कोई भी वास्ता रखा तो "सुयश ने कहा। 

"तो क्या ? आप मुझसे सारे रिश्ते तोड़ लेंगे। तोड़ लेना सुयश। अब आप क्या, कोई भी मुझे मेरे बच्चे से, मेरे अंश, शिवांगी से अलग नहीं कर पायेगा। आपसे वादा है, मेरा यह अंश शिवांगी एक दिन मेरे नाम को सार्थक करेगी। "शिवानी ने कहा। 


उसके बाद शिवानी ने अपनी कॉलेज की एक सहेली से संपर्क किया और उसकी मदद से वह शहर, अपना घर और परिवार हमेशा के लिए छोड़ दिया। दूसरे शहर में आकर नौकरी की और अपनी शिवांगी को पढ़ाया -लिखाया। 

शिवानी ने शिवांगी को मजबूती से अपने अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया। अब तक का सफर आसान नहीं था, हर मोड़ पर शिवानी और शिवांगी को लोगों के ताने सुनने पड़े। लोगों ने शिवांगी का खूब मज़ाक बनाया, लेकिन शिवानी हमेशा उसके साथ ,उसकी हिम्मत बनकर खड़ी रही।

शिवांगी एक वकील बनकर अपने जैसे लोगों की मदद करना चाहती थी। शिवांगी ने लॉ यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया और आज उसे यूनिवर्सिटी टॉप करने के लिए गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जा रहा है। 

आज शिवानी गोल्ड मेडलिस्ट लॉयर शिवांगी की माँ बन गयी है। "अरे माँ ,आओ ,यहाँ आओ। ", शिवांगी की आवाज़ से शिवानी की तन्द्रा भंग हुई और वह अतीत से अपने वर्तमान में आ गयी। 


"आप कुछ कहना चाहेंगी ?"मंच पर मौजूद मुख्य अतिथि ने शिवानी की तरफ माइक बढ़ाते हुए कहा। शिवांगी ने भी आँखों -आँखों में शिवानी को कुछ कहने के लिए कहा। 

"हर माँ के लिए उसका बच्चा सबसे अनमोल होता है, चाहे दुनिया की नज़र में वह असामान्य ही क्यों न हो। हम सभी को हर इंसान को एक माँ की नज़र से देखना चाहिए। हमें इंसान -इंसान में लिंग , रंग , जाति आदि किसी भी आधार पर कोई भेद नहीं करना चाहिये। यदि अवसर मिले तो हर इंसान इस समाज और दुनिया को और खूबसूरत बनाने के लिए काम कर सकता है. अलिंगम , शिवांगी इसकी मिसाल है। "कहते -कहते शिवानी का गला रूँध गया था। 

पूरा ऑडिटोरियम एक बार फिर तालियों से गूँज उठा था। शिवांगी अपनी माँ शिवानी के गले लग गयी थी। 


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