ऐसी बातें नहीं करते
ऐसी बातें नहीं करते
मोहित पूरे लॉन में उछल कूद कर रहा था ।घर में घुसते ही उसकी नज़र लॉन में पड़े झूले पर पड़ी , “ वाह आंटी इतना बड़ा झूला ? मुझे भी झूलना है , क्या मैं झूल सकता हूँ ।” मोहित ने अधिकार से पूछा।
महिमा बस मुस्कुरा कर रह गयी । उसको अपने झूले से बहुत लगाव है । पर उसकी सबसे प्यारी सहेली अनुराधा के पोते मोहित को चाह कर भी मना नहीं कर पाई ।
अनुराधा अच्छी तरह से जानती थी कि महिमा झूले और लॉन को लेकर कितनी पज़ेसिव है , फिर भी मोहित से बस इतना बोल पाई “ सम्भाल कर बेटा । ” शायद मूल से ब्याज प्यारा सभी को होता है ।
मैं ध्यान से झुलूँगा दादी । मोहित झूले को आगे ले जाते हुए बोला ।
झूले की आवाज़ कानों में चुभ तो नहीं रही है , पर ख़ास अच्छी भी नहीं लग रही है ।
“ और बताओ माही ? कैसा चल रहा है ? अनुराधा बरामदे में पड़ी बेंत की कुर्सी पर बैठते हुए बोली । “ आह ! न चाहते हुए भी अनुराधा के मुँह से निकल गया , यह मुआ घुटना तो मेरी जान ले कर रहेगा ।
“ कोई दवाई क्यों नहीं लेती तू ? महिमा ने काँच की मेज़ को दूर सरकाया “ टाँग फैला ले , आराम मिलेगा ।
दवाई ली तो थी पूरे तीन महीने खाई , वही बनर्जी डॉक्टर , कहने को तो शहर का इतना बड़ा डॉक्टर ,पर दर्द की चार दवा दे दी इकट्ठी फिर भी एक पैसे का आराम नहीं । मनु की ज़िद्द थी , किसी तरह तीन महीने खा ली , फिर बंद कर दी , गैस और बनने लगी ।
अंग्रेज़ी दवा गर्म तो होती है , तू दत्ता को क्यों नहीं दिखा लेती , वो घुटना बदलने का ऑपरेशन भी बढ़िया करता है , मेहरोत्रा जी के दोनो घुटने डॉक्टर दत्ता ने ही बदले हैं , अब सुबह / शाम आराम से टहलते हैं ।
"दादी मैं फ़व्वारा चला दूँ !" मोहित ने आवाज़ लगाई ।
"दादी से पूछ ले बेटा , स्विच किधर है ।" अनुराधा ने टालने के लिए बोला ।
"मुझे पता है , ढूँढ लिया है मैंने ।" मोहित ने फ़व्वारा चला दिया । बूँद दो बूँद पानी हवा के साथ महिमा और अनुराधा पर भी पड़ने लगा ।
"घुटना कौन बदलवाएगा ? शिवानी याद है तुम्हें" , लाजपत नगर वाले सोमप्रकाश मौसा जी की लड़की , अनुराधा ने महिमा के चेहरे के भाव देख कर याद दिलाने की कोशिश की “ वही जिसकी शादी इंदिरा नगर के सन्देश के साथ हुई थी , चक्की वाला सन्देश ।
"हाँ , हाँ ! याद आया अवंतिका मौसी की लड़की । महिमा की आवाज़ में जोश था । क्यों क्या हुआ उसे ? वो तो हम लोगों से दस / बारह साल छोटी है ।"
"पंद्रह साल छोटी है तुमसे , घुटना बदलवाया था दिल्ली में , दो बार ऑपरेशन हुआ एक बार दिल्ली में एक बार मुंबई में , पैर ख़राब हो गया बेचारी का । ऑपरेशन मैं नहीं करवाऊँगी , अब निष्कर्ष डॉक्टर की दवा खा रही हूँ पंद्रह दिन से , सूजन में कुछ आराम है ।" अनुराधा ने अपनी "साड़ी ऊपर उठा कर दायाँ घुटना दिखाया , “ देख लाली और सूजन दोनो कम हो गए ।”
"निष्कर्ष कौन , नया हड्डी का डॉक्टर है क्या" ?
"नहीं रे , नया लड़का है होमोंपेथी कि दवा देता है , हमारे मौहल्ले में क्लिनिक खोला है । कह रहा था माता जी आप को एकदम ठीक कर दूँगा , छः महीने में । आराम तो है , यश है लड़के के हाथ में ।और फ़ीस कुल पचास रुपये , दवाई मिला कर एक हफ़्ते के तीन सौ तीस रुपए । “ चाय पीने का मन कर रहा है ” अनुराधा ने जम्हाई ली ।
"सुधा आती ही होगी ,लो आ गयी । महिमा ने सुधा को आते हुए देख कर बोला । “ सुधा तीन कप चाय बना ले पहले ,और मोहित को फ़्रीज़ से फ़्रूटी दे दे ।” बाक़ी काम बाद में कर लेना ।
"माही ब्रेड भी सिकवा ले" , अनुराधा ने सुधा को सुनाते हुए बोला ।
"ब्रेड भी सेंक लेना सुधा ।"
"जी माँ जी । " सुधा बड़बड़ाई आ गयी खाऊ बुड्डी , पता नहीं माँ जी की कैसी सहेली है , भुक्कड़ कहीं की , "सुधा ब्रेड सेंक दो , सुधा पकौड़े बना दो । किसी दिन इसी को सेंक दूँगी ।"
क्या बोल रही हैं आंटी ? सुधा को पता ही नहीं चला कि मोहित कब रसोई में आ गया ।
"कुछ भी तो नहीं बेटा । क्या चाहिये आपको ?"
"पानी दे दीजिये आँटी । प्यास लग गयी झूला झूलते / झूलते ।"
"यह लो बाबा" , सुधा ने मोहित को पानी का गिलास दिया ।
"गरम है ", मोहित ने गिलास सुधा को वापिस कर दिया ।
"ठंडा पानी पीने से गला ख़राब हो जायेगा , यही पी लो ।"
"थोड़ा सा ठंडा मिला दीजिए चुपके से" , मोहित ने अनुनय की ।
आपकी दादी को बताना पड़ेगा ।
"फिर तो आँटी आप जो बोल रही थी , वो मुझे भी बताना पड़ेगा ।" मोहित शरारत से मुस्कुराया ।
"बदमाश ! यह ले ठंडा पानी और सुन “ ऐसी बातें नहीं करते , राजा बेटा ।”
"जी आंटी , ऐसी बातें नहीं करते । थैंक यू ।" मोहित गिलास सुधा को पकड़ाते हुए बोला ।
