अहम्

अहम्

2 mins
344


आकाश को घर से निकले पांच दिन हो गये। एक-दो दिन मुझे अकेलेपन का कुछ भी अहसास नहीं हुआ.सबकुछ अपनी मनमर्जी से किया।

पर आज सवेरे से ही मन बेचैन हो रहा था। कभी टीवी खोलती, कभी खिड़की के पास खड़ी होती, तो कभी वार्डरॉब में कपड़ों को निहारती।

हर जगह आकाश की यादें पीछा कर रही थी। आकाश को भी न जाने क्या हो गया ? अभी भी गुस्से में है या अहम् में ? जाने के बाद, एक बार भी फोन से हाल-चाल नहीं पूछा !

माना, गुस्से में पति-पत्नी के बीच कुछ बातें हो जाती हैं, इसका मतलब ये तो नहीं कि घर छोड़कर ही चले जाएँ ! हाँ मुझे भी आकाश से इतनी बहस नहीं करनी चाहिए थी।

काश ! मैं ही चुप रह जाती, तो बात आगे नहीं बढ़ती ! पहले तो कभी ऐसा नहीं होता था अगर कोई बात पसंद नहीं भी आती, न तो ये इतना रियेक्ट करते, और न ही मैं। पर, जब से घर में सुख-सुविधा अधिक पाँव पसारने लगी, तभी से घर में टेंशन और खटपट शुरू हो गई।

मैं सोचने लगी, 'जो हुआ सो हुआ दिल कोई मिट्टी का खिलौना तो नहीं ! पति-पत्नी में नाराजगी कैसी ! अभी आकाश को फोन करके देखती हूँ|

“हलो” आकाश की आवाज सुनते ही मेरे पूरे शरीर में झनझनाहट सी हो गई।

आहिस्ते से पूछा, “कैसे हो ?”

“ठीक हूँ।”

इतना कहकर कर वो चुप हो गए।

मैंने फिर से उनको टटोलने की कोशिश की, ”चाय पी ली क्या ?”

“नहीं, मैंने चाय पीना छोड़ दिय।“

“ क्यूँ तबियत तो ठीक है न ?”

“हाँ पर, चाय बनाता हूँ कभी चीनी अधिक, कभी चायपत्ती कम..” सुनते ही आकाश की पुरानी बातें- 'सवेरे की चाय तुम्हारे हाथों से ही अच्छी लगती है बनाने से पिलाने तक का अंदाज ही अलग' कानों में गूंजने लगी।

“कल से मैंने भी कई बार सोचा, तुमसे बात करूँ, पर.. वो !" बोलते-बोलते आकाश अटक गया।

कुछ पल के लिये खामोशी, दृष्टा बनकर दोनों के हृदय के बढ़ते स्पंदन को महसूस करने लगी। लेकिन , आकाश का पति होने का दंभ अभी भी पत्नी के आगे झुकने को तैयार नहीं था।

मन में उमड़ती भावनाओं और स्वाभिमान को संतुलित करते हुए..मैंने दबे स्वर से कहा, आकाश, जब प्यार का पलड़ा अहम् से भारी लगने लगे, तो घर लौट आना, तुम्हारी बहुत याद आती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance