अगर तुम साथ हो...
अगर तुम साथ हो...
एक ऐसे व्यक्तित्व की कहानी जिसने अपनी ज़िंदगी को सिवा दुख के कुछ नहीं पाया.. पर दूसरों की खुशी में वो अपने दुख दर्द को भूल गया। चलो हम उसकी दुख भरी कहानी जिसमें हमें भी कुछ बाते सीखने को मिले...
एक शहरी बाबू जो गांव से अपनी जमीन बेच शहर आया था... कुछ पाने की तमन्ना में..
आगे बढ़ते हैं हम उससे पहले कुछ बातें उसके पुराने दिनों की.. किसान का बेटा था सो खेती बाड़ी बहुत थी.. बड़ा भरा पूरा परिवार था.. सब खुशी खुशी से रहते थे.. एक का एक बेटा था.. पर शराब और बुरे दोस्तों की संगत में उसने अपने मां बाप.. को खो दिया..मां बाप भी इस दुनिया से चले गए... पर बेटे को संपत्ति छोड़कर गए.. पर क्या फायदा उसके साथ कोई रहा ही नहीं.. सब बेच वो गांव से शहर आ गया... क्रमश:
शहर आने के बाद उसने अपनी संपत्ति से बिजनेस बढ़ाया .. एक अच्छा व्यक्तित्व कमाया.. पर साथ देने वाला कोई ना था.. वो अकेला अपने दर्द को सराहता और दूसरों की खुशी में अपनी खुशी देखता था.. हर किसी को जी भर के मदद करता.. उन्हें अपना बनाने की कोशिश करता.. पर बाकी सब मदद लेकर चलें जाते वही तन्हा फिर अकेले उदास घूमता रहता अपने दर्द को सीने में रख आंखों से आंसू बहा.. अपने गम को सहरता.
एक दिन वो समुद्र किनारे बैठा पानी की लहरों को निहार रहा था.. तभी लड़कियों का एक ग्रुप आया.. और अपनी मस्ती में पानी में तैरने गया.. एक छरहरी सी सिंपल लड़की नेहा.. जिसे तैरना नहीं आता उसे भी जबरदस्ती पानी में ले जाया गया.. ये सब तमाशा अनुज चुपके से देख रहा था... पर उसे क्या पता था कि वो किसी के काम आयेगा.. जब उसने आवाज सुनी बचाओ वो उस दिशा में दौड़ पड़ा और उस लड़की को बचाने लगा.. लड़की अपनी सुध में नहीं थी थोड़ी बेहोशी की हालत में थी..किनारे लाकर लड़की को देख वो गुस्सा हुआ.. उससे कहा तैरना नहीं आत
ा तो क्यो पानी में जाते हो.. तुम्हें कुछ हो जाता तो... उसके शब्द सुन नेहा को लगा.. की में इसे जानती नहीं फिर भी मेरे लिए...
दोनों एक दूसरे को देखते रहे.. सहेलियां आयी नेहा को ले गयी.. अनुज देखता रहा.. कितने दिन बीत गए.. अनुज वही किनारे पर बैठा इंतज़ार करता रहा.. क्योंकि नेहा का कोई पता नहीं था उसके पास.. पहली बार उसे अहसास हुआ था किसी अपने का... वो एक बार देखा चेहरा उसके दिमाग जहन में बैठ गया... वो इंतज़ार करता रहा.. करता रहा पर नेहा नहीं आयी.. आज उसे पहिली बार किसी के ना होने का अहसास याद आ रहा था.. मां बाप को खो चुका था इसलिये अपनो के जाने का गम क्या होता है उसे पता था..
ऑफिस में इंटरव्यू के लिए लाइन लगी थीं एक एक कर अनुज अपनी कंपनी के लिए employees का इंटरव्यू ले रहा था.. तभी उसके सामने अचानक नेहा सामने आयी.. हतप्रभ सा वो उसे देखता रहा.. और नेहा भी उसे देखती रहीं.. दोनों जैसे खो गए.. फोन की रिंग बजी तब अहसास हुआ इंटरव्यू चालू है.. अनुज ने नेहा से कहा..यहां..
नेहा ने कहा इंटरव्यू के लिए आई. अनुज ने सहज पूछा इतने दिन कहा थी तो नेहा ने कहां में अपने घर अपनी मां बाप के पास थी.. अनुज ने कहा ओह ओके..
नेहा ने कहां उस दिन में तुम्हें धन्यवाद ना कह सकी आप ना होते तो शायद में आज इस दुनिया में ना होती.. अनुज ने कहा ऐसा मत कहो ये तो एक इंसानियत का फर्ज था जो मैने निभाया.. शायद उस वक्त समझ जाता जब मेरे मां बाप थे.. नेहा ने कहा क्या हुआ था फिर अनुज ने उसे सब बताया.. वो मुलाकात उनकी बेमिसाल प्यार बन गयी...वो ऑफिस में रोज मिलते.. बाते होती.. दोनों एक दूसरे को जानने लगे.. समझने लगे.. अनुज ने नेहा को प्रपोज किया.. नेहा मेरा इस दुनिया में कोई नहीं.. मेरा जीवन भर साथ दोगी.. तब नेहा ने कहा अगर तुम साथ हो तो.. दोनों खुशी खुशी अपना जीवन बिताने लगे!