जीवन एक परीक्षा
जीवन एक परीक्षा
जीवन एक नौका विहार है.. उसी में हमारा संसार है.. हर सुख दुख में परीक्षा का सार वार है..किस्मत हमे कभी इतना दे देती है की हम उसे संभाल नहीं पाते.. और जिन्हे नही मिलता उनका जीवन बरबाद है.. कहने को जीवन एक परीक्षा है उसमें वही आदमी सच्चाई से खरा उतरता है।। जो दिन रात मेहनत करके अपने पूरे परिवार को एक सुखद अनुभव देता हैं!
कहानी शीर्षक
जीवन एक परीक्षा
गांव _वीरपुर
शहर –बॉम्बे
पिता –रामचंद्र
माता –सीता
बेटा –श्याम
बहू –रंजना
एक गांव जहां मेरा पूरा परिवार रहता था.. आज भी है..
पर बच्चे कुछ काम से शहर में आ जाते है तो उन्हे वहा रहना ही पढ़ता हैं..बूढ़े मां –बाप कहा जायेगे और..उनकी अपेक्षा वही रहती हैं की बहु बेटे के पास अपनी जिंदगी बसर करे!
रंजना श्याम की वाईफ जो दिखने में बहुत ही सुन्दर थी..
अपने आप में खुश थीं.. दोनो परिवार से दूर अपनी गृहस्थी चला रहे थे.. रंजना के लिए नया शहर अंजान था फिर भी श्याम के साथ रहकर सब कुछ सीख लिया था.. श्याम के ऑफिस जानें के बाद छोटा बड़ा सामान रंजना ही ले आती थीं.. श्याम ऑफिस से थका हारा आता था.. और सुबह वापिस अपनी दिनचर्या में बिजी हो जाता था.. उसके परिवार से रोज फोन आ जाते थे.. क्या चल रहा वगेरे वगेरे.. जीवन सबका हैप्पी लाइफ जैसा चल रहा था! एक दिन अचानक श्याम को गांव से फोन आया.. उसके पिता.. रामचंद्र जी बीमार है.. और उन्हे तुरंत शहर के हॉस्पिटल में लाना होगा.. गांव में ट्रीटमेंट तो होती नहीं.. सो श्याम ने कहा पिता से यहां आ जाएं यही पर उनका इलाज होगा.. श्याम ने रंजना से कहा.. मेरे माता पिता आने वाले हैं गांव से.. रंजना थोड़ी हिचकिचाई और कहा में अकेले कैसे हैंडल कर पाऊंगी..
श्याम ने कहा सब हो जायेगा में हु ना तुम्हारे साथ तुम बस मेरा साथ देना.. रंजना मुस्कराई और कहा इसलिए तो आपके साथ हु में.. दोनो बाते करते करते सो गए..
सुबह श्याम मां पिता आने वाले थे उन्हे लेने स्टेशन गया और राधा अपने घर काम में व्यस्त थीं.. सास ससुर.. की सेवा करने का मौका मिला है तो वो अपना हर एक काम सही ढंग से करना चाहती थीं.
श्याम स्टेशन से मां बाप को लेकर घर आया पिता रामचंद जी तबियत अच्छी नहीं थी.. सो फ्रेश होकर खाना खाकर हॉस्पिटल में ले गया डॉ . को दिखाने.. सास ( सीता) बहु रंजना के साथ घर पर ही थी.. उसके काम में हाथ बटा रही थीं.. मन में चिंता तो थी.. पर बहु साथ में थी इसलिए चिंता नही थी... थोडीदेर में श्याम का फोन आया.. पिताजी को हार्ट अटैक आया था और बायपास सर्जरी करवानी पड़ेगी.. और कुछ दिन एडमिट करना होगा... रंजना ने फोन रखा.. सास ने कहा बेटी किसका फोन है.. रंजना की आंख में आसू थे कहा पापा को हार्ट अटैक आया है .. और उनकी बायपास सर्जरी करवानी पड़ेगी और एडमिट करना होगा.. सास भी रोने लगी क्या होगा.. रंजना ने सांत्वना दी माजी हम दोनो है.. ना आप क्यों चिंता करते हो.. सब ठीक होगा..
बहु के शब्द सुनते ही सास को थोड़ा धिरोसा आया.. और अपने काम में लग गए.. हॉस्पिटल में आना जाना करना था.. सास तैयार हुई और रंजना भी दोनों हॉस्पिटल गए और वहां मिले.. थोडी देर तो पिता की हालत देख मां के सामने श्याम भी रो पड़ा.. की अचानक क्या हो गया.. पहले क्यों नही आए इतनी देर क्यों की..
मां के पास भी इसका जवाब नही था वो भी रोने लगी.. तब रंजना ने दोनो को हिम्मत बढ़ाई और कहा सब ठीक होगा और पिताजी अच्छे होकर जल्द ही घर पर आयेगे!
रामचंद्र भी अपनी बहु का हौसला देख खुश थे.. और समाधानी भी की बहु हमे अच्छी मिली.. ऑपरेशन की तैयारी हुई..डॉ . ने कहा केस रिस्की है पर हम पूरी कोशिश करेंगे.. सब सुनकर थोड़ा गंभीर हो गए.. ऑपरेशन शुरू हुआ.. सब चिंता में ही थे जब तक कुछ खबर ना आए.. खाना पीना किसी ने खाया ही नहीं था भूख तो जैसे मर गयी थी.. अपना बीमार हो तो सब भूल जाते हैं खाना पीना.. सबका लाल बत्ती पर ही ध्यान था कब बंद हो और अच्छी खबर मिले..
ऑपरेशन खतम हुआ और डॉ . बाहर आये कहा आपरेशन सक्सेस हुआ.. पर निगरानी में 42 घंटे रखना होगा.. पिताजी बेशुध अवस्था में थे.. उन्हे कोई होश नही था.. मिनी आईसीयू में रखा गया.. जहां जल्द रिकवरी हो.. सब चिंता में तो थे. पर मन में एक आशा थी सब अच्छा होगा.. भगवान को प्रार्थना करने लगे सब अच्छा हो.. रामचंद्र जी को धीरे धीरे होश आने लगा.. सामने चिंता में खड़े.. पत्नी और बहु बेटे को देखा.. और इशारे से कहा में ठीक हु.. तब सबकी जान में जान आयी..
डॉ .. ने 8 दिन हॉस्पिटल में रखा और सब अच्छा हो जाने के बाद घर ले जाने को कहा.. और कहा उनका ध्यान आगे भी रखना होगा..
रामचंद्रजी घर आये.. तब उन्हे अच्छा लगा.. हॉस्पिटल में रोज दवा पानी सब सिस्टर डॉ . की चहल पहल देखते थे.. घर आकर बहु बेटे के साथ शान्ति मिली.. रामचंद्र जी ने बहु को पास बुलाकर कहा बेटी तूने मेरी खूब सेवा की.. हर घर में तुझ जैसी शांत और सुशील बहु मिले तो घर स्वर्ग बन जाता हैं..
जीवन परिक्षा पर एक कविता
जीवन एक नौका विहार हैं!
और हम उस पर सवार हैं!
जो जीवन नौका चलाता हैं;.
उसी पर जीवन हमारा संघर्ष सार हैं!
ज़िंदगी के सुख दुःख की तरह हमारा
नौका का भी उथल–पुथल भार हैं!
डगमग जगमग करती हमारी पतवार
हिलोरे खाती हैं जीवन में हर बार..
उसी में हैं हमारा सारा सुख सार;
किस्मत से जब किसी को
सब कुछ मिल जाता हैं तो
सब कहते किस्मत अच्छी हैं!
कर्म बनाने के लिए भी
अच्छे कर्म करना पढ़ता हैं!
फ़ल हमें अपनी जिंदगी दे ही देती हैं!
फिर वो खट्टा हो या मीठा;
बस मन में कड़वाहट ना आने देना!
किस्मत के खेल निराले हैं!
जिसके जीवन में आये
उसके उजाले ही उजाले हैं!
ये हमारे जीवन की सच्चाई
लोग आते हैं..चले जाते है!
जो आते है उन्हें लोटकर जाना हैं!
जो दुनिया से जाते है उन्हें भी
फिर से लोटकर इसी दुनिया में आना है!
जीवन एक मकड़ी का जाल हैं;
उसमें फसना जी का जंजाल है!
आदमी उसमें फसता चला जाता है!
रिश्तों में महकता चला जाता हैं!
हर एक से संबंध बनाकर.. वो
सब रिश्ते नातो को छोड़ जाता हैं!
यहीं जीवन जीने प्रकिया हैं!
जो खाली हाथ आया हैं!
वो खाली हाथ ही जायेगा!
यहीं जीवन की सच्चाई हैं!
प्रकिया और सच्चाई को समझ लो;
आत्मा का मिलन परमात्मा से हैं!
इसका महत्व तुम सब समझ लो!
और अपना जीवन सुखमय
भगवान के चरणों में अर्पण कर दो!
