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Rajkanwar Verma

Abstract Inspirational Others

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Rajkanwar Verma

Abstract Inspirational Others

"अभिमानी पिता और उसकी दो बेटियां" भाग–1

"अभिमानी पिता और उसकी दो बेटियां" भाग–1

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हैलो दोस्तों....

 ये कहानी हैं एक अभिमानी पिता और उसकी दो बेटियों की...
         आशा करती हूं इस कहानी को पढ़ने के बाद शायद सभी लोग यह समझ पाएं कि...रिश्ते बहुत अनमोल होते हैं और रिश्तों के दरमियां अभिमान का कोई स्थान नहीं होता हैं।
      तो चलिए बताती हूं आपको एक ऐसे ही परिवार की कहानी जहां एक पिता के अभिमान के कारण पूरा परिवार बिखर गया....

कौशिक का परिवार बहुत अच्छा था। घर के सभी लोग... कौशिक उसकी पत्नी और उनकी दोनों बेटियां हमेशा खुशी से रहते थे। लेकिन कौशिक की सबसे बुरी आदत थी कि वह बहुत अभिमानी प्रवृत्ति का व्यक्ति था। 
        कौशिक के और भी भाई थे और सभी लोग हमेशा एक साथ रहते थे। लेकिन कौशिक को शायद यह बात पसंद नहीं थी वह हमेशा सभी लोगों की आपस में बुराई करता रहता था ऐसे करते–करते समय के साथ सारा परिवार बिखर गया। अब सभी लोग अलग – अलग रहने लगे थे।
         कौशिक इस बात से बहुत खुश था कि अब उसके परिवार में सिर्फ़ उसी की बात चलेगी सभी लोग सिर्फ़ उसी का कहना मानेंगे। लेकिन सच बात तो यह हैं कि अति का भी कोई ना कोई अंत होता ही हैं।

  उसकी दो बेटियां थी पढ़ने में भी बहुत अच्छी थी। बड़ी बेटी की पढ़ाई पूरी होते वह उसकी शादी कर देता हैं। वह अपने परिवार में हंसी – ख़ुशी से रहती हैं।
     कुछ समय बाद वह अपनी छोटी बेटी की शादी की बातें करने लगता हैं उसी दौरान पता चलता हैं कि उसकी छोटी बेटी किसी लड़के से प्यार करने लगी हैं इस बात की भनक कौशिक को लग जाती हैं और उसे यह बात बर्दाश्त नहीं होती हैं।
  वह गुस्से से तिलमिला जाता हैं और छोटी लड़की से कहता हैं... अगर वह लड़का तुम्हें पसंद हैं तो भी तुम्हारी शादी उससे नहीं होगी।

 बेटी ने कारण पूछा क्यों नहीं हो सकती...?

तब वह उसे बताता हैं कि वह लड़का उसकी बड़ी लड़की के ससुराल वालों के रिश्ते में ही इस कारण और दूसरा कारण वह ज़्यादा पढ़ा लिखा भी नहीं हैं।

उसकी छोटी बेटी यह बात सुनकर बहुत गुस्सा हो जाती हैं और वह जिद करती हैं कि अगर मैं शादी करूंगी तो सिर्फ़ उसी लड़के के साथ करूंगी।

कौशिक भी बहुत गुस्सा हो जाता हैं क्योंकि अगर ऐसा होता हैं तो उसके अभिमान या कहे उसके घमंड को ठेस पहुंचती हैं तो वह अपनी बेटी के साथ ही बुरे तरीके से व्यवहार करने लग जाता हैं।

 वह सारी बात अपनी बड़ी बेटी और उसके पति को बताता हैं वह लोग भी आते हैं और उसको समझाने का प्रयास करते हैं लेकिन वह नहीं मानती हैं।

कौशिक और भी ज्यादा गुस्सा हो जाता हैं फ़िर उसकी छोटी बेटी पुलिस को बुला लेती हैं और सारी बात बता देती हैं। पुलिस ने भी उस लड़की का साथ दिया क्योंकि वह बालिग हो गई थी वह अपने जीवन को जीने का फैसला खुद करने में सक्षम थी।

उसके पिता का अभिमान अभी भी नहीं टूटा और उसने अपनी बेटी की ख़ुशी की परवाह भी नहीं की। उसने पुलिस के सामने ही उससे कहा... चली जाओ जहां जाना हैं फ़िर कभी दोबारा अपनी सूरत मत दिखाना और वह वहां से चली जाती हैं।

और देखते ही देखते उसका परिवार बिखर जाता हैं...


कहा जाता हैं कि....

 एक पिता के लिए उसका अभिमान सिर्फ़ उसकी संतान होती हैं और पिता अपनी संतान की ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकता हैं।

लेकिन कौशिक के लिए अपनी संतान की ख़ुशी के शायद कोई मायने नहीं थे इसलिए उसने सिर्फ़ अपने बारे में ही सोचा अपनी बेटी की ख़ुशी के बारे में नहीं सोचा।

रिश्तों की अहमियत उनके टूट जाने के बाद ही पता चलती हैं और सच बात तो यह हैं कि...

 रिश्तों के दरमियां अभिमान का कोई स्थान नहीं होता हैं।



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