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Rajkanwar Verma

Inspirational Others

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Rajkanwar Verma

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"अभिमानी पिता और उसकी दो बेटियां" भाग–2

"अभिमानी पिता और उसकी दो बेटियां" भाग–2

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कौशिक की छोटी बेटी जब उस घर से चली जाती हैं तब यह बात दूसरे लोगों को भी पता चल जाती हैं और पता भी कैसे नहीं चलता पुलिस जो आई थी उसे अपने साथ लेकर जाने के लिए....

सारे समाज के लोग बहुत ही बुरी–बुरी बातें करते हैं कौशिक और उसके परिवार के बारे में लेकिन सोचने वाली बात तो यह हैं कि...

इतने सारे लोगों में से क्या कोई एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जो कौशिक को समझा सके कि अब समय बदल गया हैं और हमें समय के साथ ही अपने आप में भी थोड़ा परिवर्तन लाने की आवश्यकता हैं।

अगर यह बात किसी एक व्यक्ति ने भी उसे समझाने की कोशिश की होती तो शायद सारा काम बहुत ही शानदार तरीके से हो सकता था।

लेकिन कहते हैं ना....

हमारे समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सिर्फ अपने सामाजिक रीति–रिवाजों को ही सबसे ज्यादा मान्यता देते हैं और समाज ही क्या...?

परिवार में रहने वाले लोग ही एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं और अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए दूसरों की खुशियों में आग लगाने का काम करते हैं।

कौशिक की छोटी बेटी अपने पिताजी की संपत्ति में से एक हिस्सा भी नहीं लेकर जाती हैं और जिस लड़के से उसकी शादी होने वाली थी वह लड़का भी उसे इज्जत के साथ बकायदा उससे शादी करता हैं...

"कोर्ट मैरिज"

फिर लड़के के घर वाले आते हैं और उस लड़की को अपने साथ लेकर जाते हैं।

वहां उसके ससुराल में उसका बहुत ही शानदार तरीके से स्वागत किया जाता हैं और ख़ुशी से उसको अपने परिवार का हिस्सा बना लेते हैं।

यहां यह सब देखकर मन में एक बात आई...!

क्या अभिमान इतना बड़ा होता हैं कि....

उसे अपनी बेटी की खुशियों की भी परवाह नहीं हुई?

क्या समाज के सारे रीति–रिवाज अपने परिवार की खुशियों से बड़े होते हैं?

वह लड़का जो कि बेरोजगार था लेकिन उस लड़की से प्यार करता था इसलिए उसने उसे अपना जीवन साथी बना लिया और वो भी पूरे समाज के सामने और पूरे रीति–रिवाजों के साथ।

उनका आगे का जीवन चाहे जैसा भी हो लेकिन जिन परिस्थितियों में उन दोनों ने एक दूसरे का साथ निभाया वह सराहनीय कार्य हैं।





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