Sushil Pandey

Horror Tragedy Crime

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Sushil Pandey

Horror Tragedy Crime

आंदोलनकारीयों को दंगाइयों में तबदील कर देने की कला

आंदोलनकारीयों को दंगाइयों में तबदील कर देने की कला

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अपराध नहीं है क्षम्य तुम्हारा, ठीक नहीं ये काम किये,

गणतंत्र दिवस के मौके पर ही, माँ का आँचल खींच दिये!

भारत माता रो रही हैं और लाल किला शर्मिंदा है,

था शकल तुम्हारा भूमि पुत्र सा, पर निकल गये तुम भेड़िये।।


मन बहुत दुखी हुआ २६ जनवरी २०२१ की खबर सुन के, ये चरित्र के उलट काम करने का साहस मिला कहा से आपको? महात्मा गाँधी के देश में अपनी मांगों को पूरा करने के लिए माँ के आँचल के साथ खिलवाड़ किसी भी स्थिति में सहन के योग्य नहीं है।


अपनी जायज मांगो के लिए दमनकारी अंग्रेजी सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान अपनी शहादत की स्थिति में भी धैर्य के साथ आंदोलन जारी रखने वाले लाजपत राय के संततियों के लिए ऐसा करना इतिहास को शर्मसार कर देने जैसा है।


सीने पे भी वार घातक, हम अपनो के सह लेते हैं।

माँ के आँचल छूने पर तो, काट सरों को लेते हैं।।


माना सरकार का रवैया ठीक नहीं था फिर भी ये कृत्य क्षमा के योग्य नहीं है लाल किले से तिरंगा हटाने से पहले आपकी आत्मा काँपी कैसे नहीं? कैसे वो करने की हिम्मत दिखा दिया आपने जिसे सोचने तक की इजाजत नहीं है इस राष्ट्र में? कैसे ५००० साल पुरानी सनातन धर्म की मर्यादाओं को

तार तार कर दिया आपने?


माना सरकार ने ज्यादती किया आपके साथ तो इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं होता कि कुछ करने की अनुमति मिल गई हो आपको?


सरकार की मनमानीयों का बदला, लाल किले के झण्डे को बदलकर लेना क्या उचित लगा आपको? अपने बाद के पीढ़ीयों के लिए कैसी विरासत का इंतजाम किया है आपने? मन को दहला देने के लिए ये ख्याल बहुत है!


किसान तो धरती की लाज के लिए अपनी जान तक को कुर्बान कर देने के लिए प्रसिद्ध रहा है २६ जनवरी २०२१ तक, पर आपने तो तब उसके चीथड़े चिथड़े कर दीये जब दुनिया की नजर थी हम पर, इन शर्तों पर अगर सरकार आपके मांगो को अक्षरशः मान भी ले तो भी मैं आश्वस्त हूँ की आपके घरों में आपके जीत की कामना करती इंतजार में बैठी माँ-बहने आपका चेहरा देखकर मुँह मोड़ लेंगी आपकी तरफ से और माँ-बहनों ने अगर माफ़ भी कर दिया तो भी इतिहास तो आपको कभी माफ़ नहीं कर पायेगा।


अब अगर आपकी जीत हो भी जाती है तो भी निरर्थक है वो जीत क्योंकि कीमत आपने मांगो से कई गुना ज्यादा चूका दिया है।


शांतिपूर्ण चल रहे आंदोलन को दंगे और आंदोलनकारीयों को दंगाइयों में तबदील कर देने की इस कला को क्या कहते है नहीं पता मुझे।


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