जो कुछ भी वो करेगा यकीन मानिये अच्छा ही करेगा!
जो कुछ भी वो करेगा यकीन मानिये अच्छा ही करेगा!
मै सबसे ज्यादा जानता हूँ,
मुझे सब पता है,
मै सबसे ज्यादा ताकतवर हूँ,
मै सबसे सुन्दर हूँ,
ऐसी सोच से ग्रस्त व्यक्ति से सहानुभूति रखिये, उसे जबाब की नही बल्कि इलाज की जरूरत है!
इसे ही दर्शन मे आत्ममुग्धता कहा गया है मतलब Narcissism.
पिछले दिनो मै एक western survey पढ़ रहा था उस सर्वे के मुताबिक संसार अभी narcissistic epidemic के दौर से गुजर रहा है!
narcissistic epidemic अर्थात आत्ममुग्धता की महामारी और सरल शब्दों मे अपने आप पर मोहित हो जाने की बिमारी।
जी हाँ! आत्ममुग्ध होना जरूरी है क्योंकि आत्ममुग्धता की कमी के कारण ही आत्महत्याओं की संख्या मे वृद्धि होती है जो कि कीसी भी सभ्य समाज को दुखी ही करेगा।
और संसारभर के सैकड़ो विचारकों ने कहा है इसका सबसे मुख्य कारण अच्छी परवरिश का अभाव है!
अपने बच्चे को एक आईआईटियन या एक डाॅक्टर बनाने से ज्यादा जरूरी एक अच्छा इंसान बनाना है।
ये बच्चे बहुत मासूम होते है हमेशा उ
नकी तारीफ करने पर वो अतिआत्मुग्ध हो सकते है तो उन्हे वैसा न होने देना हमारी ही जिम्मेदारी का हिस्सा है।
उन्हे अच्छे विद्यालय या विश्वविद्यालयों मे भर्ती कराकर हम अपनी जिम्मेदारीयों से मुंह नही मोड़ सकते।
उन्हे जीत की खुशी मे बेहिसाब चहकने के साथ-साथ हारने पर दुखी होकर बेइंतहा रोने का पाठ भी पढ़ाना होगा।
हाँ बताना होगा उन्हे कि सारी दुनिया उनके बाप का घर नही है तो इस घर के बाहर , कई बार या हर बार उन्हे अस्वीकार भी किया जा सकता है तो उनकी अस्विकार्यता (Rejection) को विनम्रता से स्वीकार करना भी सिखाना होगा।
सच! उन्हे नही पता तो उन मासूमों को सही और गलत मे फर्क करना भी बताना होगा।
संसार मे सज्जन के साथ-साथ दुर्जन भी प्रचूर मात्रा मे हैं तो सज्जनों के समक्ष सरल और दुर्जनों के समक्ष सख्त होना भी पढ़ाना होगा उन्हे।
इंसानियत और रिश्तेदारीयों की कद्र करना भी हमे ही बताना होगा उन्हे।
आपका बच्चा अच्छा डाॅक्टर या इंजीनियर भले ना बन पाये पर अगर इंसान अच्छा बन गया तो जो कुछ भी वो करेगा यकीन मानिये अच्छा ही करेगा!