Vijaykant Verma

Romance

3  

Vijaykant Verma

Romance

आई लव यू

आई लव यू

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"रंजू, आई लव यू..!" सागर ने रंजू को देखते ही कहा। "क्या कहा, एक बार फिर से कहो..?" रंजू मुस्कुराते हुए बोली। "रंजू, आई लव यू! आई लव यू! आई लव यू!" "तुम बहुत अच्छे हो सागर। क्योंकि जो तुम्हारे दिल में जो होता है, तुम बोल देते हो। लेकिन मुझ में और तुमने यही सबसे बड़ा फर्क है, कि मैं जो बोलना चाहती हूं , बोल नहीं पाती।" "लेकिन ऐसी क्या बात है रंजू, जो तुम बोलना चाहती हो, लेकिन बोल नहीं पाती..?" "सागर, हमारी दोस्ती कब से है..?" "रंजू, बचपन से ही हम दोस्त हैं। बल्कि यूं समझो रंजू, कि जब से मैंने अपना होश संभाला, तुमको ही हमेशा अपने करीब पाया है। लेकिन सागर, वो बचपन की दोस्ती, और आज की दोस्ती में बहुत फर्क है। बचपन में हम  जब आंख मिचौली खेलते थे, और तुम मुझे पकड़ लिया करते थे, या मैं तुम्हें पकड़ लिया करती थी, तो कितनी खुशी होती थी हम दोनों को..! और कितना चिल्लाते थे हम। पर मैं तुरंत तुम से छूट कर भाग जाती थी। लेकिन अब कभी कभी आंख मिचोली के बहाने जब तुम मुझे पकड़ लेते हो, तो मेरे मुंह से आवाज ही नहीं निकलती..! बल्कि दिल चाहता है, कि तुम्हारी बाहों में समा जाऊं। सागर, अब हम बड़े हो गए हैं। और मुझे लगता है, कि मुझे भी तुमसे प्यार हो गया है। लेकिन मैं अपने दिल की इस बात को आज तक तुमसे कह न सकी..!" "रंजू, अच्छे दोस्त वो होते हैं, जो अपनी किसी भी बात को एक दूसरे से छुपाते नहीं। क्योंकि चुप कर और छुपा कर कोई भी काम करो, तो वह गलत होता है। लेकिन अगर सहमति से हम कोई काम करें, तो उसमें प्यार होता है।सच्चा प्यार।" "तुमने बिल्कुल ठीक कहा सागर।' यह कहते हुए रंजू सागर से लिपट गई। तब सागर ने उससे कहा, "मेरी प्यारी रंजू, मेरे पिताजी का अच्छा बिजनेस है। और मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करके उन्हीं के बिजनेस में हाथ बताना है। इसलिए हमारे घर में पैसे रुपये की कोई कमी नहीं है। रजू, मेरे माता पिता अक्सर मेरी शादी की बात करते हैं और मैंने हर बार उनके मुंह से यही सुना है, कि उन्हें कोई पैसे वाली लड़की नहीं, बल्कि एक ऐसी बहू चाहिए, जो घर का काम कर सके और जो मेरे बेटे का ख्याल भी रख सके। और रंजू, तुमसे अच्छी बहू मेरे माता-पिता को भी शायद ही कोई मिले। और वैसे भी उन्हें हमारी दोस्ती के बारे में सब कुछ मालुम है। और बहुत बार वो तुमसे मिल चुके हैं और तुमको प्यार भी बहुत करते हैं। इसलिए हमारी शादी में कोई अड़चन भी नहीं है। मैं उनसे कल ही साफ-साफ बता दूंगा, कि मैं तुमसे प्यार करता हूं और सिर्फ तुमसे ही शादी करूंगा।" "थैंक्स सागर।" यह कहते हुए रंजू सागर की बाहों में समा गई। और दूसरे दिन सागर ने जब अपने माता पिता को अपना फैसला सुनाया, तो उनको बहुत खुशी हुई और रंजू के घर वालों से बात करके इस रिश्ते को फाइनल कर लिया । लेकिन उनमें आपस में एक शर्त थी, कि रंजू के बी ए पास हो जाने के बाद ही वो शादी करेंगे। सागर ने इस शर्त को मान लिया। और दो साल बाद रंजू के बी ए पास होने ही उसकी शादी सागर से हो गई। बचपन के दो साथी हमेशा के लिए एक हो गए। बचपन से दो परिवारों के बीच जो थोड़ी बहुत दूरियां थी, वो भी मिट गई। न रंजू के माता-पिता को इस बात की चिंता थी, कि शादी के बाद मेरी बेटी कहां जाएगी..? कैसे रहेगी..? खुश रहेगी या नहीं रहेगी..? और सागर के माता-पिता को भी इस बात की चिंता न थी, कि उनकी बहू पता नहीं कैसी आएगी, किस तरह की होगी, एडजस्ट कर पाएगी या नहीं करेगी..! इस शादी से दोनों परिवार खुश थे। और रंजू और सागर की खुशी की खुशी की तो इंतहा न थी। हमारे बचपन के दोस्त ही अगर हमारे जीवन साथी बन जाए, तो इससे बेहतरीन रिश्ता शायद ही कोई हो, क्योंकि सिर्फ वो ही एक दूसरे को अच्छी तरह से नहीं जानते समझते, बल्कि उनके परिवार वाले भी एक दूसरे को अच्छी तरह से समझ चुके होते हैं।


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