ज़िंदगी पानी का बुलबुला
ज़िंदगी पानी का बुलबुला
ज़िंदगी पानी का बुलबुला
कभी आसमान पर,
कभी ज़मी पर चला है
ज़िंदगी पानी का बुलबुला है
कब ये फुट जाए,
किसको यहाँ पता चला है
ज़िंदगी पानी का बुलबुला है
कभी बढ़ता ही जाता है
कितने रंग दिखाता है
कभी हँसता है, मुस्कुराता है
ज़िंदगी से आगे कब क्या मिला है
ज़िंदगी पानी का बुलबुला है।
इसी ज़िंदगी से रिश्ते नाते
इसी से ही अपनापन है,
शाम ढलने पर सबने
सफेदी की चादर को चुना है
ज़िंदगी पानी का बुलबुला है।
कंही ग़म है कंही खुशियां
ज़िंदगी ने सबको सुना है
एक छोर से शुरुआत है
दूजे पर अंत जला है।
ज़िंदगी पानी का बुलबुला है।
कभी आसमान पर,
कभी ज़मी पर चला है
ज़िंदगी पानी का बुलबुला है।