ज़िन्दगी की ये सब पिटारी है
ज़िन्दगी की ये सब पिटारी है
नाम लब पे यूँ उसका जारी है
ज़िन्दगी साथ में गुज़ारी है।
वक़्त बे-वक़्त जब सियासत हो
ये सियासत की चाटुकारी है।
धर्म ईमान बेच खाए सब
ये सियासत की ही ख़ुमारी है।
दे के तकलीफ़ ज़िंदगी में सब
लोग करते क्यों फ़ौजदारी है।
कल तुम्हारी है आज ये हमारी
ज़िन्दगी की ये सब पिटारी है।
कब छुपे चेहरें नज़र आए
यो मुहब्बत कभी कटारी है।
याद आते हो बेहिसाब यूँ तुम
ये हमें कौन सी बीमारी है।।

