युवा नशे में खो रहा
युवा नशे में खो रहा
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घर का चिराग बुझा कर, मयखाना रोशन हो रहा,
युवा मेरे देश का, इस तरह नशे में खो रहा ।।
रगों में बहते खून में अब, रवानी नहीं रही,
वो देश पर मिटने वाली, जवानी नहीं रही ।
धुत नशे में हो कर वो, सड़कों पे सो रहा,
देख कर मंज़र ये, मेरा हृदय रो रहा ।
घर का चिराग बुझाकर, मयखाना रोशन हो रहा,
युवा मेरे देश का, नशे में खो रहा ।।
चरस, अफीम, गांजा, नस - नस में बह रहा,
नशे के दर्द को सारा परिवार सह रहा,
विधवा होती सुहागिन, बचपन अनाथ हो रहा,
घर का चिराग बुझा कर, मयखाना रोशन हो रहा ।।
नशे में डूब कर, क्यों लाचार हो रहा,
इसके जाल में फंस कर, हर घर बरबाद हो रहा ।
बन रहा है गुलाम, न एहसास हो रहा ।
घर का चिराग बुझा कर, मयखाना रोशन हो रहा ।।
नशे की गर्त में, गुमनाम सा हो रहा,
सुनहरा भविष्य आज, अंधकार में खो रहा ।
छा रहा सन्नाटा और वक्त भी रो रहा,
कुछ सिक्कों की खातिर नशे का ,सौदागर मातम पिरो रहा ।
घर का चिराग बुझाकर, मयखाना रोशन हो रहा ।
युवा मेरे देश का, नशे में खो रहा।।
जगाना है ज़मीर को जो, जो अब तक है सो रहा,
उठ, सम्भल कर आगे बढ़ने का, अब वक्त हो रहा ।
बचा लो उस देश को ,जो नशे में नीलाम हो रहा ।
घर का चिराग बुझाकर, मयखाना रोशन हो रहा ।
युवा मेरे देश का नशे में खो रहा ।।