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Ritu Agrawal

Tragedy

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Ritu Agrawal

Tragedy

ये लोग......

ये लोग......

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दिलों के पुराने जख्म खोलकर,

शब्दों का नमक छिड़कते हैं लोग।

फिर छोड़ देते हैं उन घावों को,

अधखुला सा, नासूर बनने के लिए।

रिसता रहता है दर्द, घायल दिल से,

बूँद- बूँद और कतरा- कतरा।

फिर झूठी हमदर्दी जताते हैं लोग।

तुम्हारे खून के आँसू देखकर,

मंद - मंद मुस्काते हैं यही लोग।

मत उम्मीद करो हमदर्दी की किसी से,

तुम्हारे दर्द का मखौल उड़ाते हैं लोग।



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