ये कैसी उलझन
ये कैसी उलझन
सोचा नहीं था कभी ख्वाब में भी
बसेगा कोई भी जहन में हमारे!
डर है कहीं वक्त करवट ना ले ले
हमें ना गिरा दे नजर में हमारे!
गुजरे जो कुछ वक्त संगत में तेरे
वहीं रेशमी वक्त फिर से गुजारें
या फिर छोड़ दें सब वक्त के ही हवाले!
सोचा नहीं था कभी ख्वाब में भी
बसेगा कोई भी जहन में हमारे!
डर है कहीं वक्त करवट ना ले ले
हमें ना गिरा दे नजर में हमारे!
गुजरे जो कुछ वक्त संगत में तेरे
वहीं रेशमी वक्त फिर से गुजारें
या फिर छोड़ दें सब वक्त के ही हवाले!