खो देने का डर
खो देने का डर
मेरे शहर की गलियों में
ये अनजाना मोड़ कैसा है
जज्बातों के समंदर में
ये हिलोर कैसा है
मन में एक आस है
विश्वास है
दिल के गहरे हल्के दिये में
हर पल जलते सांस हैं
फिर भी कुछ खो देने का
ये डर कैसा है!
मेरे शहर की गलियों में
ये अनजाना मोड़ कैसा है
जज्बातों के समंदर में
ये हिलोर कैसा है
मन में एक आस है
विश्वास है
दिल के गहरे हल्के दिये में
हर पल जलते सांस हैं
फिर भी कुछ खो देने का
ये डर कैसा है!