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Shiwani Kumari

Others

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Shiwani Kumari

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जिंदगी कैसी ये पहेली

जिंदगी कैसी ये पहेली

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कुछ दिनों से एक पहेली के

पीछे भाग रही हूँ

जैसे रूठी किसी सहेली के

पीछे भाग रही हूँ

जितना पास जाती हूँ उतना ही

उलझता है ये रहस्य


अब यहाँ से अकेली ही

पीछे लौट रही हूँ

वो बेवजह की बातें,

वो बेबात की हँसी

सब झूठ है, मन का तो

कोई और ही रूप है

मैं बेवजह इस ठिठोली के

पीछे भाग रही हूँ


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