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Kishan Negi

Romance Fantasy

4.0  

Kishan Negi

Romance Fantasy

ये कैसा दीवानापन है

ये कैसा दीवानापन है

1 min
347


तूने दिल्लगी की 

मैंने कब इंकार किया है 

ख्याल अब किसी गैर का आता नहीं 

दिल चुराकर बेदिल किया किसी को 

ये कैसा दीवानापन है 


सखियों संग लौटूं जब हर शाम 

गागर लेकर पनघट से 

कदम की डाल बैठ जाने कितनी 

मटकियाँ फोड़ी हैं कंकड़ मारकर 

ये कैसा दीवानापन है 


तेरी याद में जब नींद नहीं आती 

करवटों को सुलाकर चाँद को निहारूं 

ख्यालों की सलवटों में छिप कर 

चुपके से मेरे लबों को भिगो जाता है

ये कैसा दीवानापन है 


हाल कुछ ऐसा हो गया है इधर 

जिंदगी के हर मोड़ पर 

सामने खड़ा नज़र आता है 

रास्ता रोक कर तेरी मुस्कुराती तस्वीर 

ये कैसा दीवानापन है 


सोचती हूँ कभी-कभी 

किस गुनाह की सजा मैंने है पायी 

दिल की खिड़की पर देकर दस्तक 

हसीं ख़्वाबों को जगा जाता है

ये कैसा दीवानापन है 


बेइंतहा मोहब्बत है अगर मुझसे 

सजाकर ला बारात अपनी 

दुल्हन को ले जा डोली में बैठाकर 


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