यादों की यादें
यादों की यादें
यादें याद करती हैं
उन सारे लम्हों को
जो साथ बिताये थे
हमने यूँही नज़रें मिलाते
हॉटेल में बैठने वाली
वह नज़दीकियाँ याद आती हैं
वेटर आने की वह झुँझलाहट
उस की हल्की सी खराश से
तुम्हारा वह 'थोड़ी देर और' का इशारा
जिस डिश को लाने में देर लगे
उसी डिश का तुम्हारा आर्डर देना
और तब वेटर की वह मंद मुस्कान
चाय के कप लेकर वो घंटों बैठना
दुनिया जहाँ की वे सारी बातें
कितने जादुई लगते थे वे लम्हे
हाथ में हाथ डालकर
फिर एक ही छाते में
बारिश की बूंदाबांदी में
एकदूसरे को भीगने से बचाते
घर में वापस आना
वो पल कितने हसीन थे
आज पहली बारिश में वे सारी यादें
पता नही क्यों जहन में ताजा हुई
मैं छाता लेकर जाने के लिए सोचा
लेकिन छाते की कुछ तीलियाँ टूटी थी
बिल्कुल मेरे दिल की तरह
और मैं आँसुओ में भीगती रही
पता नही,यादों की यादें क्यों याद आती हैं?

