यादों का मेरा नगर
यादों का मेरा नगर
यादों का मेरा नगर ....
तेरा मुझपर... कितना है असर
ढ़लता नही है सूरज ...
तेरी जब तक... मुझपर पड़े ना नज़र
वो तेरी बाते, करते ज़ाते, मैं देखूँ
मैं हूँ , होठों पे , हों जैसे लम्हे मुसकुराते ..
यादों का मेरा नगर ....
तेरा मुझपर... कितना है असर
तेरे संग मैं चलू पैदल
तू सुने आहाट ... खामोशी रहती खबर
ये दिदारे , है मेरे यारे, मैं सोचता हूँ
मौसम प्यारे, ये नजारे, हसीन हो गए सारे ...
यादों का मेरा नगर ....
तेरा मुझपर... कितना है असर
तनहा शायर हूँ!