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Prakash kumar Yadaw

Action Classics Fantasy

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Prakash kumar Yadaw

Action Classics Fantasy

यादों का क़र्ज़

यादों का क़र्ज़

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 यादों का क़र्ज़ चुकाना होगा,

दूरी को मुझे मिटाना होगा।


जिससे वादा किया हूं मैं,

उसे मुझे अपना बनाना होगा।


रिश्ते की बंधन में बंधकर,

उसे अपनी आंगन में लाना होगा।


जात पात से बड़ा इंसानियत है,

प्रेम की शिक्षा सिखाना होगा।


लोगों के दिल में नफ़रत है,

नफ़रत को मुझे मिटाना होगा।


प्रेम ही ज़िंदगी है हंसी खुशी है,

लोगों को मुझे समझाना होगा।


मैं दुनिया से करूंगा बगावत,

मगर उसके लिए मुस्कुराना होगा।


कुछ भी हो जाए वो मेरी है,

दुनिया को मुझे अब बताना होगा।


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