यादें
यादें


बारिश नहीं बस यादों के मौसम आते हैं।
बादल नहीं भिगोते अब हम आंसुओं में भीग जाते हैं।
जब से साथ छूटा, छूट गया रिश्ता चौपाटी से,
भुट्टे, फुल्की, चाट पकौड़ी अब हमको नहीं भाते हैं।
दोस्त तेरे जो मेरे भी बन गये थे धीरे - धीरे
देखकर मुझे आता, रास्ता बदल जाते हैं।
खींच लेती थी तेरी गलियां तेरा शहर मुझको,
भूल गये सब, अब रास्ते मुझको नहीं बुलाते हैं।
सचिन कोई और बैठता होगा वहां किसी और के साथ,
दिल और बैंच के फट्टे, दोनों चरमराते हैं।