याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?
याद तुम्हारी आती हैं क्यों ?
याद तुम्हारी आती है क्यों?
जब मैसेज का रिंग बजता है
तो दिल की धड़कन ,तेज हो
जाती है क्यों?
याद तुम्हारी आती है क्यों?
आफिस दफ़्तर जाते-आते
दिन पूरा निकल जाता है
शाम की चाय तुम बिन ,खल
जाती हैं क्यों?
याद तुम्हारी आती है क्यों?
नीले अम्बर पर तारों का पहरा
फिर भी चाँद को चमकते देखा
टूटते तारे को देख कर ,आँख बंद हो
जाती हैं क्यों?
याद तुम्हारी आती है क्यों?
बारिश, सर्दी या हो गर्मी का मौसम
काट लेते हैं अपने हिसाब से
हर मौसम में मेरा हाल पूछ लेना, दिल को छू
जाती हैं क्यों ?
याद तुम्हारी आती है क्यों?
लोगों के नज़रों में हूँ अकेला
उस नज़र से खुद को कभी देखा ही नहीं
जब तुम्हारी याद आयी,दिल धड़कन और मन
एक हो जाती हैं क्यों?
याद तुम्हारी आती है क्यों ?
ये सच है तुम दूर हो मुझसे पर दिल में तो हो
दूर रहके भी ये दूरियाँ अब
दिल को ,सुकून दे
जाती हैं क्यों?
याद तुम्हारी आती है क्यों?

