"व्यर्थ उड़ाए पेड़ "
"व्यर्थ उड़ाए पेड़ "
पेड़ पौधों के बिना, शून्य हुए सब लोग
अकाल सूखा भी पड़े, बढ़े धरा पर रोग
बढ़े धरा पर रोग, जीव मरने को आया
खूब करी जो भूल, मनुज ने शोक जताया
व्यर्थ उड़ाए पेड़, ध्यान रही ना मुठभेड़
घनी लगाओ पौध, कभी न काटो तुम पेड़।
