व्यंग्य - सत्ता सुंदरी
व्यंग्य - सत्ता सुंदरी
सत्ता सुंदरी को,
पाने के लिए आज
देशभक्त होने के,
सज रहे नए साज।।
गांव-गांव जाकर देते हैं आश्वासन,
हमको गर चुनोगें तो,
देंगे ऐसा शासन,
घर-घर में बाटेंगे ,
मुफ्त में अनाज,
सत्ता सुंदरी को-------------
कुर्सी की खातिर हम,
अपना दल बदल लेंगे,
निष्कासित संघ बना,
नया दल गढ़ लेंगे,
पुरण करेंगे रिश्तेदारों के काज,
सत्ता सुंदरी-----------------
गांव-गांव जाकर देते हैं सफाई,
सत्ता सुंदरी की डोर,
बड़ी मुश्किल से पाई,
ऐसे बातें करना,
इस पें न आवें आंच,
सत्ता सुंदरी को,
पाने के लिए आज,
देशभक्त होने के,
सज रहें नए साज।।
