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J P Raghuwanshi

Abstract

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J P Raghuwanshi

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व्यंग्य - सत्ता सुंदरी

व्यंग्य - सत्ता सुंदरी

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सत्ता सुंदरी को,

पाने के लिए आज

देशभक्त होने के,

सज रहे नए साज।।


गांव-गांव जाकर देते हैं आश्वासन,

हमको गर चुनोगें तो,

देंगे ऐसा शासन,

घर-घर में बाटेंगे ,

मुफ्त में अनाज,

सत्ता सुंदरी को-------------


कुर्सी की खातिर हम,

अपना दल बदल लेंगे,

निष्कासित संघ बना,

नया दल गढ़ लेंगे,

पुरण करेंगे रिश्तेदारों के काज,

सत्ता सुंदरी-----------------


गांव-गांव जाकर देते हैं सफाई,

सत्ता सुंदरी की डोर,

बड़ी मुश्किल से पाई,

ऐसे बातें करना,

इस पें न आवें आंच,


सत्ता सुंदरी को,

पाने के लिए आज,

देशभक्त होने के,

सज रहें नए साज।। 

 


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