व्यापारी और घोड़े
व्यापारी और घोड़े
एक था
घोड़े का व्यापारी
हमेशा
घोड़े लेकर
महल में
जाता था वह
एक बार दो घोड़े
उसके पास आए
बहुत ही सुंदर
देखने में दोनों
दोनों घोड़ों से
बहुत हुआ लगाव
उसे बेचने के
ख़्याल से
वह दुखित हो जाता
वह घोड़े भी कहीं
जाना नहीं चाहते थे
एक बार मन कड़ा कर
उसे दिया बेच
पर घोड़े वहाँ से
वापस आ गये
इधर व्यापारी का
मन भी नहीं
लग रहा था
घोड़े को देखा तो
उनसे लिपट गया
तुम दोनों तो
मेरे बच्चे जैसे हो
अब कभी दूर
जाने नहीं दूँगा !