मिलकर गीत सुनाएँ (जनवरी 4)
मिलकर गीत सुनाएँ (जनवरी 4)
नयी सोच के साथ हम आओ कदम बढ़ाएँ,
भेदभाव भूल के सारे आओ हाथ मिलाएँ ।
जात-पात का राग छोड़कर छोड़ो खींचातानी,
भारत के वासी हैं हम सब मिलकर दीप जलाएँ ।
जैसे एक है सूरज चंदा एक हम रहेंगे ,
गाँव गाँव गली गली में मिलकर गीत सुनाएँ।
एक अकेला थक जाएगा कर्म करते-करते,
मिलजुल के थोड़ा-थोड़ा हम भी बोझ उठाएँ।
धरती मां की हरियाली बनी रहे 'सपना',
आओ मिलकर सींचे इतना हर दिवस सजाएँ।