रानी लक्ष्मीबाई
रानी लक्ष्मीबाई
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तलवार उठाकर हाथों में,
रानी शक्ति बनी साकार।
रुप देख सभी दर थर काँपे,
धरती मरदानी आकार ।।
सुत को बाँधा जो पीठ वही,
वो दौड़ रही चारों ओर ।
छूटे छक्के गोरों के तो,
आप नहीं कुछ उनका जोर ।।
चमकी थी सन सत्तावन में,
लक्ष्मी की थी वो तलवार।
दूर विदेशी को जो करने,
करती थी वारों पर वार ।।
इतिहास पढ़ा है हमने ऐसे,
उनका नाम करेंगे याद।
लक्ष्मीबाई नाम वही है,
याद करे है जग भी बाद ।।